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 भागवत से ऐसे सीखें मेनेजमेंट के गुण, होगा कल्याण

श्रीमद् भागवत कथा में पौराणिक विपिन शास्त्री ने बताया भक्ति का महत्व

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neeraj mishra

Jan 18, 2017

bhagwat katha

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जबलपुर। अधारताल कंचनपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान बुधवार को पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु उस समय भाव-विभोर हो उठे जब नंदोत्सव का प्रसंग आया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने नंद के घर आनंद भयो..., हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की... जैसे बधाई गीत गाकर खुशी जताई। कंचनपुर सन सिटी में आयोजित कथा में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। कथावाचक पंडित विपिन शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा केवल धर्म ग्रंथ नहीं बल्कि यह मैनेजमेंट बुक है। इसमें हर बात का समाधन है।

शास्त्री जी ने कहा कि केवल धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना मनुष्य के लिए हितकर नहीं है। धर्म ग्रंथों को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची भक्ति है। इससे न केवल हम स्वयं का बल्कि समाज का कल्याण कर सकते हैं। श्रीराम, कृष्ण के आदर्शों को हम अपने जीवन में उतारकर परम उत्कर्ष को प्राप्त कर सकते हैं।

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प्रभु रहते हैं भक्तों के पास

इस अवसर पर कथावाचक पंडित विपिन उपाध्याय शास्त्री महाराज ने कहा कि निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति से प्रभु अवश्य प्रसन्न होते हैं। प्रभु सदैव अपने भक्तों के हर समय आस-पास ही रहते हैं। जब भी उस पर कोई विपदा आती है तो वे तत्क्षण उसकी सहायता भी करते हैं। कथा के दौरान अवसर पर कृष्ण जन्मोत्सव की झांकी सजाई गई। कथा का आयोजन इंद्रपस्थ, कंचनपुर और सन सिटी के स्थानीय लोगों द्वारा कराया जा रहा है।

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भक्ति धुन पर झूमे श्रद्धालु

पंडाल में उत्सव जैसा माहौल नजर आने लगा और श्रद्धालु भजनों की धुनों पर देर तक झूमते रहे। भगवान श्रीकृष्ण को मथुरा से नंद बाबा के यहां ले जाते हुए वासुदेव की झांकी सजाई गई। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन पंडाल में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। शास्त्री ने कथा के दौरान कहा कि कंस ने अपनी मृत्यु के भय से देवकी व वसुदेव को बेडिय़ों से बांधकर जेल में डाल दिया था। लेकिन जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। जेल के सारे पहरी सो गए और जेल के ताले अपने आप खुल गए। उसके बाद वासुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को नंद बाबा के यहां पहुंचा दिया। भगवान के जन्म की कथा के दौरान खूब माखन मिसरी, खिलौने आदि बांटे गए।

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