
kamdhenu shankh
युवाओं में देखी जा रही अधिक लालसा
जबलपुर।
धर्म, आध्यात्म व ज्योतिष के प्रति रुझान बढ़ने के साथ ही संस्कारधानी में इनसे जुड़ी वस्तुओं के प्रति आकर्षण बढ़ गया है। श्रद्धालु विशिष्ट प्रकार के शंख, रुद्राक्ष को विशेष महत्व देने लगे हैं। इनके साथ ही लाल-सफेद चंदन जैसी अन्य विशिष्ट पूजन सामग्रियां भी पूजन कक्षों का आवश्यक अंग बनती जा रही हैं। ज्योतिष से प्रभावित वर्ग की विविध प्रकार के रत्नों के प्रति भी रुचि भी बढ़ रही है। विशेषतः युवा वर्ग हर तरह के रत्न धारण करने में आगे नजर आ रहा है।
विशिष्ट शंखों की चाहत-
सनातन धर्म मे शंख का विशेष महत्व बताया गया है। शंख बजाने के साथ वैज्ञानिक पहलू भी जुड़े हैं। शंख के कई प्रकार होते हैं, जिनके अलग अलग महत्व बताए गए हैं। इसके चलते पूजन कक्ष में लोग विशिष्ट किस्म के शंख रखने लगे हैं।ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला बताते हैं कि अब अधिकतर लोग अपने पूजन कक्ष में विशिष्ट किस्म के शंख जरूर रखते हैं। बीते कुछ वर्षों के दौरान यह बदलाव सामने आया है। युवा वर्ग में यह आकर्षण चाहत की हद तक है।
दक्षिणावर्ती व कामधेनु शंख-
इस समय दक्षिणावर्ती व कामधेनु शंखों के प्रति आकर्षण देखा जा रहा है। विद्वानों के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख का घर में होना बहुत शुभ माना जाता है। इस शंख को बजाने से पॉजिटिव एनर्जी आती है।दक्षिणावर्ती शंख को दाएं हाथ से पकड़ा जाता है। इस शंख को देवस्वरूप माना गया है और इसके पूजन से लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ संपत्ति भी बढ़ती है। वहीं, कामधेनु शंख को गौमुखी भी कहा जाता है। कामधेनु गाय के मुख जैसी रूपाकृति का होने की वजह से इसे गोमुखी कामधेनु शंख कहा जाता है। इसे कलयुग में मनोकामना पूर्ति का साधन बताया गया है। एमआर पंकज पांडे बताते हैं कि उनके कई दोस्तों को देखकर वे भी चेन्नई से दक्षिणवर्ती शंख लेकर आए।इंजीनियर राकेश गुप्ता का कहना है कि उनके कई परिचितों के यहां कामधेनु शंख है।
फेफड़े होते हैं मजबूत-
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला बताते हैं कि सागर मंथन से निकले 14 रत्नों में शंख भी शामिल था। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी अपने हाथ में शंख धारण करती हैं, इसलिए इसका धार्मिक महत्व बढ़ जाता है। हर प्रकार के पूजा में शंख का प्रयोग होता है, सिवाय भगवान शिव के।शुक्ला कहते हैं कि प्रत्येक दिन शंख बजाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। शंख बजाने से हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं, सांस संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।शंख में जल भरकर घर में छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
एकमुखी रुद्राक्ष के प्रति आकर्षण-
रुद्राक्ष के एकमुखी व एकादशमुखी प्रकारों के प्रति भी आकर्षण बढ़ा है। युवा इसे पूजन कक्ष में रखने के अलावा धारण भी कर रहे हैं। मेडिकल विद्यार्थी सुरेंद्र गौतम कहते हैं कि एकमुखी रुद्राक्ष जब से धारण किया, उन्हें मानसिक शांति मिली है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार रुद्राक्ष का अर्थ है - रूद्र का अक्ष। माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई। इसे प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। मुख्य रूप से सत्रह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं। पुरोहितों का कहना है कि आजकल एकमुखी व ग्यारहमुखी रुद्राक्ष के प्रति विशेष आकर्षण देखा जा रहा है। ज्योतिर्विद शुक्ला ने बताया कि एकमुखी व एकादश मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है।ये अत्यंत शुभ होते हैं। समस्याओं के निवारण के लिए तथा शुभफल प्राप्ति के लिए इसको धारण करना शुभ होता है।
राशि के अनुसार पहन रहे रत्न-
राशि व कुंडली के अनुसार विभिन्न प्रकार के रत्न धारण करने की ओर युवाओं का आकर्षण बढ़ा है। मैनेजमेंट की छात्रा रश्मि कोरी कहती हैं कि उन्हें रत्नों पर बहुत विश्वास है। उन्हें इससे फायदा मिला। रत्न ज्योतिषी राजकुमार शर्मा ने बताया कि ज्योतिष विद्या में रत्नों की अहम भूमिका होती है । जिस तरह तंत्र, मंत्र का सहारा लेकर व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान करता हैं, ठीक उसी तरह सभी रत्नों का भी अपना-अपना कार्य होता है, ज्योतिष में रत्न ही एक ऐसा सरल उपाय है, जिसे व्यक्ति बड़ी सरलता से ग्रहण कर सकता है। नौ ग्रहों की शांति के लिए नौ प्रकार के रत्न धारण किए जाते हैं। सूर्य के लिए माणिक्य रत्न, चंद्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए लिए मोती, मंगल ग्रह के लिए पांच रत्ती का मूंगा धारण करना चाहिए। बुध ग्रह का प्रधान रत्न पन्ना होता है। बृहस्पति के लिए पुखराज रत्न सबसे उत्तम है। शुक्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा रत्न व शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम रत्न सबसे अधिक लाभकारी है । राहु के लिए गोमेद रत्न व केतु के लिए लहसुनिया रत्न पहना जाता है।
Published on:
11 Feb 2023 11:59 am
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