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लो सुनो MP सरकार… सरकारी स्कूलों में घट गए 16 हजार स्टूडेंट

जिले के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में साल-दर-साल विद्यार्थियों की संख्या घट रही है, सरकारी स्कूलों में पिछले तीन साल में 16,392 विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई

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Lali Kosta

Jan 17, 2017

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नरसिंहपुर। छात्रवृत्ति, गणवेश, साइकिल, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण, मध्यान्ह भोजन योजना, स्कूल चलें हम अभियान, कहानी उत्सव, शैक्षिक संवाद और शाला सिद्धि जैसे कार्यक्रम भी पालकों और विद्यार्थियों का विश्वास सरकारी स्कूलों के प्रति नहीं बढ़ा पा रहे हैं। जिले के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में साल-दर-साल विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। सरकारी स्कूलों में पिछले तीन साल में 16,392 विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई।

प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं लेकिन सरकार की यह योजना सफल नहीं हो पा रही है। जिले के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों के दाखिले की बात करें तो प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में काफी कमी दर्ज की जा रही है। तीन साल में प्राइमरी में 8509 और मिडल में 7883 बच्चे कम हुए हैं। औसतन 2500 विद्यार्थी हर साल कम हो रहे हैं। इन बच्चों ने की है सरकारी स्कूल में पढ़ाई, आज है आईपीएस, आईएएस और डॉक्टर
सरकारी वाली सुविधा निजी स्कूलों में
सरकार अब निजी स्कूलों में छात्रवृत्ति आदि की सभी सुविधाएं देने लगी है जो बच्चों को सरकारी स्कूलों में मिलती है। इससे विद्यार्थियों का रुझान निजी स्कूलों की तरफ बढ़ गया। साथ ही हर गांव में निजी स्कूल खुल रहे हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है, जिसके कारण प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में हर साल विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिए जाने से भी छात्र संख्या कम हुई है। इसके अलावा सरकारी शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा अन्य कार्य थोपे जाने से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही जिसके कारण लोगों का सरकारी स्कूलों से मोहभंग हो रहा है।

जनसंख्या नियंत्रण भी है कारण
प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में करीब 10 प्रतिशत की कमी आ रही है। यह कमी सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के सरकारी स्कूलों में दर्ज की गई है। जिसका एक बड़ा कारण जनसंख्या नियंत्रण भी है।
- एसके कोष्टी, डीपीसी,नरसिंहपुर

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