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छात्रों की सुरक्षा परीक्षा केंद्रों के हवाले, प्रशासन ने खड़े किए हाथ

माशिमं ने दिए महज चार लाख रुपए : जिले के लिए इतनी कम राशि में नहीं हो सकेंगे पुख्ता इंतजाम

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Copies will be tested between WHO's guide line

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जबलपुर. कोरोना महामारी के दौरान होने वाली 12वीं की परीक्षा में छात्रों की सुरक्षा का जिम्मा परीक्षा केंद्रों पर होगा। छात्रों की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले इंतजामों को लेकर प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने भी जिले भर को महज चार लाख रुपए देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। जिले में 104 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, यानी एक परीक्षा केंद्र के हिस्से में चार हजार रुपए भी नहीं आएंगे। इतनी कम राशि में ही परीक्षा केंद्रों को सुरक्षा व्यवस्था के तमाम साधन मुहैया कराने होंगे। यदि इसमें कुछ अड़चने आती हैं तो बड़े स्कूलों पर इनकी खरीदी का भार सौंपा जा सकता है। इस बात पर भी अधिकारी विचार कर रहे हैं। 12वीं के शेष प्रश्न पत्रों की परीक्षा 9 जून से शुरू होने जा रही है।

थर्मल स्कैनर, सेनेटाइजर कहां से आएंगे?
12वीं की परीक्षा के लिए जिले में कुल 104 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इस लिहाज से एक परीक्षा केंंद्र को महज 3800 रुपए ही मिलेंगे। परीक्षा के लिए थर्मल स्केनर, सेनेटाइजर, मास्क आदि की व्यवस्थाएं भी करनी होगी। एक थर्मल स्केनर की कीमत ही तीन से सात हजार रुपए के बीच है।

विभागों के बीच सामंजस्य नहीं
कोरोना संक्रमण को लेकर टली बारहवीं की परीक्षाओं के मद्देनजर माध्यमिक शिक्षा मंडल और स्कूल शिक्षा विभाग में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। कोरोना संक्रमण बचाव की तैयारियां करने की बजाए मंडल ने सारी जिम्मेदारी जिले के स्थानीय प्रशासन पर डाल दी है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि थर्मल स्क्रीनिंग मशीन किस मद से खरीदी जाएगी या फिर कोई दूसरा विभाग इस मशीन को उपलब्ध कराएगा।

स्वास्थ्य विभाग के पास सीमित संसाधन
स्वास्थ्य विभाग पर पहले से कोरोना संक्रमण और संदिग्धों की जांच का जिम्मा है। विभाग सीमित संसाधनों के बीच काम कर रहा है। ऐसे में थर्मल स्केनिंग मशीनें, मास्क, सेनेटाइजर की व्यवस्था करना उसके लिए संभव नहीं है। विभाग को अतिरिक्त राशि भी मुहैया नहीं कराई गई है।

थर्मल स्कैनर के क्रय को लेकर व्यवस्था की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन से भी सहयोग लिया जा रहा है। सेनेटाइजर की व्यवस्था केंद्र अध्याक्ष अपने स्तर पर करेंगे। जरूरत पड़ी तो व्यवस्थाओं के लिए बड़े स्कूलों से मदद ली जाएगी।
सुनील नेमा, जिला शिक्षा अधिकारी