जबलपुर. रानी दुर्गावती विवि का कौशल विकास संस्थान सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के सामाजिक पुर्नवास और जेल से छूटने के बाद उनके कॅरियर को संवारने के लिए काम करेगा। संस्थान कैदियों व दिव्यांगो का साइकोमेट्रिक परीक्षण करेगा। इसके तहत उनके मानसिक और शैक्षिक क्षमता का मूल्यांकन होगा। इससे उनकी रुचियों और योग्यताओं को परखा जाएगा। इसके आधार पर उन्हें सही कॅरियर विकल्प चुनने के लिए कहा जाएगा। रादुविवि के कौशल विकास संस्थान में इसके लिए लैब है। अभी इसमें अभिभावक और छात्रों का टेस्ट कराया जाता है।
रादुविवि के कौशल विकास संस्थान की पहल, साइकोमेट्रिक टेस्ट से होगी जांच
इस तरह होगी जांच
साइकोमेट्रिक परीक्षण के माध्यम से कैदियों के एटीट्यूड लेवल, आइक्यू लेवल और उनमें तनाव का पता लगाया जाएगा। उनकी विभिन्न विधाओं में रुचि का आकलन किया जाएगा। इससे पता चलेगा कि वे किस दिशा में आगे जाने की इच्छा रखते हैं। साहित्य, कला, कृषि, टेलरिंग, बागवानी जैसी विभिन्न विधाओं में उनकी रुचि की पहचान की जाएगी। उनके कौशल और रुचियों के अनुरूप प्रशिक्षण और अवसर प्रदान करने में मदद की जाएगी। महिला कैदियों पर खास फोकस रहेगा।
जेल के बाहर आकर बन सकेंगे आत्मनिर्भर
संस्थान के निदेशक प्रो. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि यहां मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, सिलाई-कढ़ाई आदि कोर्स चलाए जाते हैं। इससे कैदियों को आत्म निर्भर बनने में मदद मिलेगी।विभाग में उद्यमिता विकास से जुड़े डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स भी संचालित किए जाते हैं। इसमें डिजिटल लिट्रेसी, डिप्लोमा इन गाइडेन्स एन्ड काउंसलिंग, फ़ैशन डिज़ाइन, बीवॉक, इंटीरियर टेक्नोलॉजी, शामिल हैं।
जेल में बंद कैदी किस दिशा में आगे जाना चाहते हैं। उनकी किस क्षेत्र में रुचि है इसकी साइकोमेट्रिक टेस्ट के आधार पर जांच की जाएगी। उनके प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होगी।
डॉ.मीनल दुबे, साइॅकोलॉजिस्ट
Updated on:
19 Jul 2024 01:19 pm
Published on:
19 Jul 2024 01:09 pm