
digital attendance of teachers after every class compulsory (फोटो सोर्स- Freepik)
e-attendance : मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस अनिवार्यता के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से डेटा प्रोटेक्शन एक्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि शिक्षकों के पर्सनल मोबाइल, उनका निजी अकाउंट जो उनके बैंक अकाउंट के साथ पर्सनल उपयोग में लिया जाता है। जून 2025 से विभाग ने हमारे शिक्षक ऐप को शिक्षकों के पर्सनल मोबाइल पर डाउनलोड कर, दिन भर लोकेशन ओर जीपीएस सिस्टम ऑन करते हुए उपस्थित दर्ज कराने का आदेश जारी किया। पर्सनल मोबाइल पर कोई भी ऐप डाउनलोड करने तथा उनके पर्सनल मोबाइल पर डेटा सुरक्षा की गारंटी का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया। जबकि लगातार साइबर फ्रॉड के प्रकरण बढ़ते जा रहे हैं।
लोकेशन ऑनलाइन करने पर शिक्षकों को सुरक्षा की बड़ी चिंता है। शपथपत्र को रेकॉर्ड पर लेते हुए जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच ने सरकार को जवाब पेश करने का निर्देश दिया। मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने दलील दी कि शिक्षकों को ई-अटेंडेंस के लिए बने ’हमारे शिक्षक ऐप’ के जरिए से उपस्थित दर्ज कराने में बहुत सी समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है। कई शिक्षकों के पास अच्छा स्मार्टफोन नहीं है। प्रतिमाह डेटा पैक खरीदना, प्रतिदिन मोबाइल की बैटरी चार्ज रखना, स्कूल में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं होने की भी समस्याएं हैं।
ऐप को सर्वर की समस्या व चेहरा मिलान की भी समस्याएं हैं। मांग की गई कि या तो बायोमेट्रिक मशीन से या पूर्व की भांति कर्मचारी रजिस्टर में उपस्थित दर्ज कराई जाए। दरअसल, जबलपुर निवासी मुकेश सिंह वरकड़े, सतना के सत्येंद्र तिवारी सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 27 शिक्षकों ने याचिका दायर कर ई-अटेंडेंस को चुनौती दी है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शिक्षकों को हलफनामा पेश कर यह बताने कहा था कि किस-किस दिन उन्होंने ई-अटेंडेंस का प्रयास किया और तकनीकी कारणों से उपस्थिति दर्ज नहीं हुई।
Updated on:
18 Nov 2025 11:45 am
Published on:
18 Nov 2025 11:40 am
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