
narmada river water
जबलपुर। पवित्र नर्मदा नदी के जल को जबलपुर के ग्वारीघाट में दो नाले गंदा कर रहे हैं। अफसरों में मां नर्मदा के प्रति अपनी जिम्मेदारी का बोध नजर नहीं आ रहा है। 'पत्रिकाÓ की आवाज पर बीते वर्ष नर्मदा जयंती से पूर्व प्रशासन ने इन नालों को बंद करने का दावा किया था। लेकिन, हकीकत यह है कि इन नालों को न तो नदी में मिलने से रोका जा सका और न ही इनकी गंदगी के शोधन की व्यवस्था की जा सकी। आगामी सप्ताह नर्मदा जयंती पर दूरदराज के लोग इसी दूषित पानी में डुबकी लगाएंगे। संस्कारधानी का संत समाज भी नगर निगम की इस लापरवाही पर नाराज नजर आ रहा है।
भागीरथी प्रयास नहीं
मां नर्मदा में गंदे नाले मिलने से रोकने के तमाम दावे अब तक खोखले साबित हुए हैं। नगर निगम, जिला प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों ने आस्था व्यक्त कर हर बार नर्मदा को गंदगी से मुक्त करने के बढ़-चढ़कर वादे-दावे किए। नगर निगम प्रशासन ने हर बजट में लाखों की राशि का प्रावधान भी किया। लेकिन, आज तक इन गंदे नालों को रोकने के भागीरथी प्रयास नहीं हो सके। शहर में नर्मदा के मुख्य घाट ग्वारीघाट के खारीघाट और सिद्धघाट में ही दो नालों सहित कई नालियों का गंदा बैक्टीरियायुक्त पानी नर्मदा में समाहित हो रहा है।
दोनों प्लांट बेअसर
नगर निगम प्रशसन ने नर्मदा में नाले-नालियों का गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए दरोगाघाट के पास 2 करोड़ रुपए से ट्रीटमेंट प्लांट लगवाया। इसमें से एक लाख लीटर पानी साफ करने वाला प्लांट बेकार हो गया है। यह अधिकतर समय बंद रहता है। जबकि दूसरा जल्दी ही ओवरफ्लो हो जाता है, इसलिए उसे बार-बार बंद करना पड़ता है।
ग्वारीघाट में इस तरह मिल रही गंदगी
ग्वारीघाट स्थित खारीघाट, नावघाट व सिद्धघाट में गंदे नालों सहित कुछ नालियों का पानी नर्मदा में मिल रहा है। आसपास के होटल, दुकान और कॉलोनियों से निकली सीवेज की गंदगी भी नर्मदा में समा रही है।
कलेक्टर, निगमायुक्त ने किया था बंद करने का वादा
'पत्रिकाÓ में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद 15 फरवरी, 2021 को ग्वारीघाट के सिद्धघाट, नावघाट और खारीघाट में नर्मदा में मिल रहे गंदे नालों की समस्या का समाजसेवी डॉ. जितेंद्र जामदार व स्वामी गिरीशानंद की पहल पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसपी गौतम ने तत्कालीन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने नगर निगम के अफसरों के साथ निरीक्षण किया था। उन्होंने स्थानीयजन और अफसरों से इस समस्या के स्थायी निदान के बारे में चर्चा की थी। अफसरों ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही सभी सम्बंधितों के साथ बैठक कर रूपरेखा तैयार की जाएगी। लेकिन जयंती गुजरते ही नालों की गंदगी मिलना पूर्ववत जारी हो गया। इसके बाद अब तक जिम्मेदारों ने इस ओर पलटकर भी नहीं देखा।
हाईकोर्ट और एनजीटी का है आदेश
नर्मदा में समाहित हो रही नालों की गंदगी के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट निर्देश दे चुका है। एनजीटी से भी इन नालों को बंद करने के सम्बंध में निगमायुक्त व कलेक्टर को आदेश दिए जा चुके हैं। इन आदेश-निर्देश का कोई असर नजर नहीं आ रहा है।
मां नर्मदा का पावन प्राकट्य दिवस 8 फरवरी को है। नर्मदा की धार को निर्मल, अविरल रखना हमारे जीवन के उद्देश्य हो जाएं तो मां की कृपा बरसती रहेगी। फैक्ट्रियों का प्रदूषित जल व सिद्धघाट, खारीघाट, नाव घाट में गंदे नालों का मिलना बंद नही हुआ। संतों का अनुरोध है कि जयंती के पूर्व इन नालों का दूषित जल नर्मदा से मिलने से रोकना होगा। अन्यथा नर्मदा भक्तों को आगे के लिए सोचना पड़ेगा।
स्वामी गिरीशानंद
मां नर्मदा में नालों का दूषित जल लगातार मिल रहा है। लेकिन, जिम्मेदारों की आंखों पर पट्टी बंधी है। यह समझ से परे है कि किस दबाव में यह गंदगी नहीं रोकी जा रही है। हर बार नर्मदा जयंती पर प्रशासन व ननि दिखावे के लिए औपचारिकता कर नालों को 1-2 दिन के लिए रोक देते हैं। इसके बाद फिर नालों का नर्मदा जल में मिलना जारी हो जाता है। जिम्मेदारों को भक्तों की आस्था को देखते हुए इस बार नर्मदा जयंती के पूर्व पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए।
ओमकार दुबे, संयोजक नर्मदा महाआरती ग्वारीघाट
Published on:
04 Feb 2022 09:29 pm
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