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अपनी राह चल रहा हाथी यूं ही नहीं मरा, जिम्मेदार है वन विभाग

जबलपुर के आस-पास सुरक्षित कॉरीडोर नहीं बनाया जा सका  

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Elephant in search of food, dies of electrocution in Karnataka

elephant

ये हैं मुख्य पांच कारण
-पहले से कोई कार्ययोजना तय नहीं
-नेशनल पॉर्क विशेषज्ञों से नहीं ली मदद
-मॉनिटरिंग व्यवस्था फेल
-शिकारियों, ग्रामीणों में वन विभाग का खौफ नहीं
-सीमित गश्त, रात्रि गश्त नहीं

जबलपुर। मंडला से भटककर जबलपुर वन परिक्षेत्र पहुंचे हाथियों को वन विभाग सेफ कॉरीडोर दे पाने में असफल रहा है। एक हाथी की करंट से हुई मौत के पीछे पांच कारण सामने आए हैं। यदि वन विभाग हाथियों के लिए पहले से कोई विशेष प्लान तैयार करता तो शायद इस हादसे को टाला जा सकता था। इस घटना से वन महकमे की नाकामी सामने आई है। देशभर के विभिन्न हिस्से में सुरक्षित विचरण करने के बाद एक हाथी की करंट से मौत का धब्बा जबलपुर वन परिक्षेत्र के माथे पर लग गया है।
25 नवम्बर को जबलपुर में दिखे हाथी
जबलपुर वन परिक्षेत्र में दो हाथियों को 25 नवंबर को देखा गया। इनके आने की सूचना वन अमले को 20 नवंबर को ही मिल गई थी, लेकिन वन अमला हाथियों को दूर करने में नाकाम रहा। ग्रामीणों की सूचना पर वन अमले को इसकी जानकारी लगी और 25 से निगरानी शुरू की गई। 28 को तो एक हाथी बलराम की मौत हो गई। जबलपुर वन परिक्षेत्र खुला हुआ है जहां शिकार की भी घटनाएं जब तब सामने आती हैं। इस दौरान दोनों हाथियों को सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग द्वारा ठोस प्लानिंग नहीं की गई। सिर्फ सतही तौर पर निगरानी की गई।

सूत्रों के मुताबिक जब एक हाथी मर गया तब वन विभाग का अमला सक्रिय हुआ। कान्हा से विशेषज्ञों को बुलाकर माहवतों के माध्यम से लापता हाथी को ढूंढा गया। उसे सुरक्षित मंडला ले जाया गया। यदि यह कार्य समय रहते कर लिया जाता तो करंट जैसा हादसा नहीं होता। बताया जाता है गश्ती में भी कंजूसी की गई। वन विभाग के पास करीब 250 से 300 लोगों का स्टाफ है। डिवीन में 7 रेंज हैं। हर रेंज में करीब 40 से 45 लोगो का अमला पदस्थ हैं। इतना सारा बल होने के बाद भी 20 से 25 लोग ही लगाए गए। रात की गश्त नहीं की गई। न ही शिकारियों के बीच खौफ पैदा किया गया।

सीधी बात : अंजना सुचिता तिर्की, डीएफओ
सवाल-हाथी की मौत में लापरवाही की बात सामने आ रही है।
जवाब- जो यह घटना हुई है वह रेवेन्यू क्षेत्र में हुई है, जहां इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है। फिर भी हम पूरे क्षेत्र में एहतियात बरत रहे हैं।
सवाल- शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग क्या कर रहा है?
जवाब- शिकार को सभी की सतर्कता और सहयोग से रोका जा सकता है इसके लिए हम ग्रामीणों को भी जागरूक कर रहे हैं ।
सवाल -करंट जैसी घटनाएं ना हो इसके लिए क्या योजना है ?
जवाब-सभी फील्ड अधिकारियों से उनके क्षेत्र में जाने वाली विद्युत लाइनों की जानकारी ली है। निर्देश दिए हैं कि यदि उनके क्षेत्र में लाइन जा रही है तो सभी बीट गॉर्ड नजर रख गश्ती करेंगे।
सवाल-यदि वापस हाथी आते हैं तो विभाग कितना अलर्ट है?
जवाब- इसके लिए विभाग पूरी तरह अलर्ट पर है। गश्त को बढ़ाया है। गस्ती दल के माध्यम से वन परिक्षेत की सीमा पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। फील्ड अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है।
सवाल-विभाग घटनाओं को रोकने क्या कर रहा है।
जवाब- वन परीक्षेत्र में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है ग्रामीणों को भी हिदायत दी गई है साथ ही विभाग को सूचित करने के लिए नंबर दिए गए हैं।