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मेहमान परिंदे अब कहेंगे … आ अब लौट चलें

locationजबलपुरPublished: Jan 04, 2021 08:53:45 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में नर्मदा तट पर अटखेलियां कर रहे विदेशी मेहमानों की इस माह से होने लगेगी विदाई
 

मेहमान परिंदे अब कहेंगे ... आ अब लौट चलें

birds jabalpur

देशी-विदेशी 13 प्रजातियों के पक्षियों का शहर में डेरा, इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में प्रजाति के आए पक्षी

जबलपुर। ग्वारीघाट, जबलपुर में नर्मदा की लहरों पर अठखेलियां करते साइबेरियन पक्षी हों या बरगी डैम की अथाह जल राशि में मछलियों का शिकार करते पड़ोसी देशों से आए सुंदर पक्षी। ये सभी का मन मोह लेते हैं। फोटो वीडियो बनाने वालों का यहां पूरे दिन तांता लगा रहता है। सेल्फी लेने वाले लोग भी इनकी मोहक छवि को कैमरे में कैद कर लेते हैं। अब जैसे जैसे सर्दी का मौसम जाने को होगा वैसे ही इन प्रवासी मेहमानों की विदाई भी शुरू हो जाएगी। मार्च के अंत तक सभी विदेशी पक्षी अपने घर लौट जाएंगे।

जबलपुर सिटीजन फॉर नेचर के सदस्य विजय सिंह यादव के अनुसार यूरोप का रेड ब्रेस्टेड फ्लाई कैचर, उत्तर भारत का ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, कजाकिस्तान, पाकिस्तान की ओर से आने वाले वॉब्लर्स, यूरोपियन, हिमालय की तराई के वर्डेटर फ्लाई कैचर, ड्रे हेडेड केनरी फ्लाई कैचर, अल्ट्रा मरीन फ्लाई कैचर का शहर के पेड़ों पर डेरा है। भारतीय प्रवासी पक्षियों में रेड केस्टेड कॉमन कोचर, टफटेड ग्रे ब्लैक गूज, गल बर्ड भी जलस्रोतों के आस-पास डेरा डाले हुए हैं। यूरोपियन ग्रेटर्स स्पॉटेड ईगल, भारतीय प्रजाति का कॉमन कैस्टल, लॉन्ग लेग बजार्ड भी देखे जा रह हैं। उत्तर भारत का स्टैफी ईगल करीब तीन साल से जबलपुर का रुख कर रहे हैं।

पक्षी विशेषज्ञ विजय सिंह यादव ने बताया कि सभी प्रजातियों के पक्षी जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में आए तो हैं, लेकिन पिछले साल की अपेक्षा जबलपुर में इस बार आधे पक्षी आए हैं। इसकी मुख्य वजह वायु प्रदूषण, खेतों में रसायनों का उपयोग और जल स्रोतों के साथ बढ़ता शहरीकरण है। पक्षियों की मौतों पर अभी जबलपुर सुरक्षित जोन कहा जा सकता है। 10 दिनों से इन पर नजर रखी जा रही है, लेकिन ऐसे मामले फिलहाल सामने नहीं आए हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बंसत मिश्रा के अनुसार जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों को सबसे अच्छा प्राकृतिक क्षेत्र माना जाता रहा है। यहां जलस्रोतों की कोई कमी नहीं रहीं है, वहीं पर्याप्त खेत आदि होने से प्रवासी पक्षी खिंचे चले आते हैं। प्रवासी पक्षियों की विदाई जनवरी के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाती है। इनका आखिरी जत्था मार्च के अंत तक लौट जाता है।

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