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जबलपुर। जिले के उपनगरीय क्षेत्र पनागर में गर्भवती महिला का पेट चीरकर शिशु निकाले जाने की घटना को लेकर हर कोई हतप्रभ है। पुलिस भी इस उधेड़बुन में है कि किन धाराओं के तहत मामला दर्ज करे। वहीं, मृतिका के मायके वालों ने पोस्टमार्टम नहीं कराने के लिए ससुराल पक्ष को जिम्मेदार ठहराया है।
मृतका की मां गौराबाई का आरोप है कि जब वे बेटी राधा बाई की ससुराल पहुंचे तो उसे श्मशान घाट ले जाया जा चुका था। गले में निशान देखा तो संदेह जताया और पुलिस में रिपोर्ट कर पोस्टमार्टम की बात कही थी। लेकिन ससुराल वालों ने साफ कह दिया था कि अगर पोस्टमार्टम हुआ तो वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, शव को उन्हीं को ले जाना पड़ेगा। सोहन लोधी मृतका राधाबाई के पति हैं और गोपी लोधी ससुर, जिनका कहना है कि मायके वालों ने ही बेटी का पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया था। इन दोनों पक्षों के बयानों से यह भी सामने आया कि गर्भस्थ शिशु को दफनाने भर के लिए ही नहीं बल्कि यह पता लगाने के लिए भी पेट पर चीरा लगाया गया था कि मौत जहर से तो नहीं हुई थी।
नवंबर में होनी थी डिलीवरी
बताया गया है कि राधाबाई का मौत से तीन दिन पहले जबलपुर के अस्पताल में परीक्षण कराया गया था। उसके साथ गर्भस्थ शिशु भी पूरी तरह से ठीक थे। नवंबर में डिलीवरी की डेट दी गई थी। सबकुछ सामान्य होने के बाद भी 17 सितंबर को अचानक उसकी मौत हो गई। अब मायके पक्ष संदेह जताते हुए हत्या का आरोप लगा रहा है।
एक दिन पहले हुई थी बात
राधाबाई की मौत से एक दिन पहले 16 सितंबर को भाभी से बात हुई थी। तब उसने कुछ अनबन की बात कही थी। मां गौराबाई का कहना है कि वे कुछ लोगों के साथ पनागर जाकर समझौता कराने की तैयारी कर रही थी। 17 सितंबर को वे निकलने ही वाले थे तभी बेटी की मौत की सूचना आ गई। वे दहेज के लिए बेटी को परेशान करने का आरोप लगा रही हैं। जबकि राधाबाई के ससुर गोपी ने इनकार करते हुए कहा कि कभी भी दहेज की मांग नहीं की बल्कि दहेज का सामान मायके पक्ष को लौटा दिया था।
Published on:
15 Oct 2022 08:06 pm
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