
The airport has been parked full, then what happened with the planes
जबलपुर. ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) फिर बड़ा प्रोजेक्ट हाथ में ले रही है। फाउंड्री के रिसर्च एंड डेवलपमेंट अनुभाग दुश्मन की इमारतों से लेकर पुल और सड़कों को उड़ाने में सक्षम 250 किग्रा एचएसएलडी बम की बॉडी बनाने की तैयारी कर रहा है।
इसकी ड्राइंग से लेकर तमाम चीजों की जानकारी के लिए एक टीम को मुरादनगर आयुध निर्माणी भेजा जा रहा है। यहां अभी इस बम की ढलाई का काम किया जाता है। इस विध्वंसक बम का उपयोग देश की वायुसेना करती है।
जीआइएफ में बम बॉडी और अलग-अलग रक्षा उत्पादों में लगने वाले पाट्र्स की ढलाई का काम होता है। यहां भारी क्षमताओं वाली फर्निश मशीनें हैं, जिनमें इन्हें ढाला जाता है। इससे पहले भी फाउंड्री ने वायुसेना के लिए थाउजेंड पाउंडर बम की बॉडी की ढलाई करने में सफलता हासिल की थी। अलग-अलग टेस्ट में यह पास भी हो गया था। हालांकि, बाद में मशीनिंग को लेकर मामला अटक गया।
नई मशीनों की स्थापना
250 किलो 250 किग्रा एचएसएलडी बम की बॉडी करीब पांच फीट ऊंची होती है। इसके लिए नई मशीनरी की जरूरत भी पडेग़ी। इस विषय से फाउंड्री प्रशासन ने कुछ दिनों पहले आए आयुध निर्माणी बोर्ड के सदस्य एसपी मिश्रा से अवगत कराया था। उन्होंने इसका प्रस्ताव बोर्ड भेजने के लिए कहा था। ऐसे में प्रोजेक्ट सफल होता है तो फाउंड्री को नया काम मिल जाता।
अभी इनकी ढलाई
- 100-110 किग्रा एरियल बम।
- थलसेना के लिए हैंड ग्रेनेड।
- धनुष तोप का क्रेडेल।
- स्टालियन वाहन के पाट्र्स।
- लिफ्टिंग प्लग की ढलाई।
- असिस्ट गियर हाउसिंग।
तोप सिक्किम रवाना
इससे पहले 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप अब स्वदेशी होने जा रही है। गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में इसका इंजन बदला गया है। बड़ी बात यह है कि यह देश में ही बना है। नए इंजन की टेस्टिंग के लिए एक तोप सिक्किम रवाना की गई है। वहां माइनस पांच डिग्री के तापमान में गोला दागकर क्षमताओं का परीक्षण किया जाएगा। इसकी शुरुआत एक सप्ताह बाद होगी। परीक्षण सफल रहा तो यह इंजन सभी नई तोप में लगाया जाएगा।
Published on:
22 Feb 2019 07:07 pm
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