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जबलपुर

दो लडक़ों ने बदल दिया किसानी का तरीका, कमाई के मामले में बना रहे रिकॉर्ड

दो लडक़ों ने बदल दिया किसानी का तरीका, कमाई के मामले में बना रहे रिकॉर्ड
 

जबलपुरDec 22, 2020 / 12:42 pm

Lalit kostha

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farmers success stories

जबलपुर। मधुमक्खी पालन के माध्यम से शहद का उत्पादन अब जिले में तेज होगा। निजी क्षेत्र में कुछ कारोबारी इस काम को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन अब इसको सीधे किसानों से जोड़ा जाएगा। इसलिए उद्यानिकी विभाग अब प्रत्येक विकासखंड में 15 से 20 किसानों को इसके लिए तैयार करेगा।

शहद उत्पादन क्षेत्र में सम्भावनाएं, दिया जा रहा प्रोत्साहन व प्रशिक्षण
मधुमक्खी पालन से किसान होंगे समृद्ध
हर ब्लॉक में तलाशे जा रहे मधुमक्खी पालन करने वाले किसान
अभी दो युवा किसान कर रहे उत्पादन

इनके माध्यम से मधुमक्खी पालन किया जाएगा। मौजूदा समय में दो युवा किसान मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। इनका प्रोजेक्ट छोटा जरूर है, लेकिन हौसले आसमान तक पहुंचने के हैं। आत्मनिर्भर जबलपुर के तहत भी इस क्षेत्र को विस्तार देने की योजना जिले में तैयार की गई है। कम लागत में ज्यादा फायदे वाले मधुमक्खी पालन के प्रति लोगों की रुचि बढ़ते जा रही है। जबलपुर का तापमान और जो फसलें होती हैं, उनसे पर्याप्त मात्रा में मधुमक्ख्यिों को भोजन मिल सकता है। ऐसे में यहां पर सम्भावनाएं ज्यादा हैं।

 

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हर ब्लॉक में लक्ष्य
हर ब्लॉक में कम से 15 किसानों को मधुमक्खी पालन से जोडऩे का लक्ष्य उद्यानिकी विभाग ने अधिकारियों को दिया है। अगले कुछ दिनों में यह सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

इन्होंने की शुरुआत
पनागर क्षेत्र के परियट में बब्लू यादव और बब्लू खान ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया है। इन्होंने चार-चार बाक्स में इनका पालन शुरू किया है। जल्द ही शहद और मोम का उत्पादन शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जिस जगह उन्होंने मधुमक्खी पालन प्रारंभ किया है, वह उस काम के लिए अनुकूल भी है। उद्यानिकी विभाग ने इन दोनों उत्पादकों को रीवा में टे्रनिंग भी दिलाई है।

आत्मनिर्भर जबलपुर के रोडमैप में भी शामिल है यह प्रोजेक्ट
जिले में मधुमक्खी पालन की सम्भावनाएं तलाशने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। आत्मनिर्भर जबलपुर के रोडमैप में भी यह प्रोजेक्ट शामिल किया गया है। विकासखंडों में ऐसे किसानों की तलाश शुरू कर दी गई है जो इससे जुडऩा चाहते हैं। दो युवा पहले ही मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं।
– एसके मिश्रा, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी

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