
vaikuntha chaturdashi 2022
जबलपुर। सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु और संहारक देवाधिदेव महादेव के मिलन का दिवस यानि वैकुंठ चतुर्दशी इस बार दो दिन तक मनाई जाएगी। तिथियों के योग एवं चंद्र ग्रहण के चलते ऐसी स्थिति बन रही है। इस दिन महादेव एवं भगवान विष्णु के मंदिरों में पूजन आरती आदि किए जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजन करना बेहद ही फलदायी होता है। व्रत करने वालों को श्री विष्णु और शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हरिहर मिलन के नाम से भी जाना जाता है। शहर के विभिन्न मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। साथ कार्तिक व्रतधारी महिलाएं सुबह तालाबों व नदियों के किनारे इस उत्सव के रूप में मनाती और नाचती गाती हैं।
त्रयोदशी युक्त होगी चतुर्दशी
ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज के अनुसार चतुर्दशी तिथि रविवार 6 नवंबर को शाम 4.19 मिनट बजे से प्रारंभ होगी। इसके पूर्व उदया तिथि त्रयोदशी रहेगी। चतुर्दशी तिथि का समापन सोमवार 7 नवंबर को दोपहर 3.44 बजे हो जाएगा। चूंकि 8 नवंबर को पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण की सूतक सूर्योदय के पूर्व से ही रहेगी। इसलिए 6 और 7 तारीख दोनों दिन चतुर्दशी तिथि मान्य होगी, साथ ही सोमवार को कार्तिक व्रतधारी व्रत पारायण कर सकेंगे। इसलिए रविवार को चतुर्दशी तिथि मानना श्रेष्ठ रहेगा। वहीं सोमवार के दिन देव दिवाली भी मनाई जाएगी।
कमल पुष्पों से होता है अर्चन
ज्योतिषाचार्य पं. विचित्र महाराज के अनुसार जो लोग वैकुंठ चतुर्दशी का व्रत करते हैं वे विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हुए संभव हो तो एक नाम के साथ एक कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। साथ ही पवित्र नदियों में कार्तिक स्नान कर श्री हरि का पूजन कर दान पुण्य करने से समस्त दोषों व विकारों का क्षरण होता है। शाम को नदियों व तालाबों के तटों पर भगवान के नाम का दीप अवश्य जलाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा पर देव को जगाने के लिए एक दीप चतुर्दशी तिथि को जलाया जाता है।
Published on:
03 Nov 2022 02:42 pm
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