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#Weather दिसंबर के पहले सप्ताह से बदलेगा मौसम, ‘मिधिली’ तूफान से छाए बादल

#Weather दिसंबर के पहले सप्ताह से बदलेगा मौसम, ‘मिधिली’ तूफान से छाए बादल  

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जबलपुर. बंगाल की खाड़ी में उठे ‘मिधिली’ तूफान की वजह से जबलपुर के मौसम में बदलाव आ गया है। आसमान में बादलों की लुकाछुपी देखने को मिल रही है। मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में संभाग के कुछ जिलों में हल्की बारिश हो सकती है। उत्तर भारत में सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ का भी असर दिखाई देगा। अगले एक सप्ताह तक मौसम इसी प्रकार बना रह सकता है। दिसंबर की शुरुआत से मौसम में बदलाव के साथ दिन के साथ रात के तापमान में तेजी से कमी होगी। चौबीस घण्टों में जबलपुर जिले का मौसम शुष्क रहने का अनुमान है।

28 नवम्बर के बाद तेज सर्दी

बंगाल की खाड़ी में उठे मिधिली तूफान के कारण 25 नवंबर तक उत्तर भारत में एक और पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है। जबलपुर संभाग के कई हिस्सों में हल्की बारिश भी देखने को मिल सकती है। न्यूनतम तापमान में 28 नवंबर के बाद से तेजी से गिरावट का दौर शुरू हो सकता है।

घटने के बजाय बढ़ा तापमान, चिंता में किसान, जल प्रबंधन पर देना होगा ध्यान
दिवाली के बाद तापमान में गिरावट आने लगती है, लेकिन इस बार फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा। बल्कि तापमान में एक से डेढ़ डिग्री की वृद्धि देखी जा रही है। इसे लेकर किसान चितिंत हैं, क्योंकि इस बार बोनी का सीजन देर से शुरू हुआ है। गत वर्ष तक बोनी अक्टूबर के अंत में होती थी, लेकिन इस बार 10 दिन का शेड्यूल प्रभावित हुआ है। यह नवंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हुई है। ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों को खेतों में पानी प्रबंधन तकनीक अपनाने की सलाह दी है, ताकि फसलों सुरक्षित रखने के साथ ही पैदावार बढ़ाई जा सके।

दस फीसदी पानी की जरूरत

जानकारों के अनुसार एक डिग्री तापमान बढऩे से फसलों में 8 से 10 फीसदी पानी की जरूरत बढ़ जाती है। यदि लगातार तापमान में बढ़ोतरी होती है तो इसका असर फसलों के लिए होने लगता है। दिन और रात के तापमान का फसलों पर अलग-अलग प्रभाव होता है। रात में पौधों में रेस्पिरेशन की रफ्तार बढ़ जाती है। हालांकि फिलहाल स्थिति अधिक चिंताजनक नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में कमी होना जलवायु परिवर्तन जैसा मामला नहीं है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनीष भान के अनुसार आम तौर पर रबी सीजन में तापमान 28 डिग्री से नीचे जाता है। तापमान नीचे जाने के बाद ही बोनी को अनुकूल माना जाता है। इस बार चने, मटर की बुवाई भी कुछ देरी से हुई है।