
High Court of Madhya Pradesh
जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पुलिस की वेबसाइट में एफआईआर अपलोड क्यों नही की जा रही है? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सरकार से जवाब तलब किया। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया। सिवनी निवासी अधिवक्ता रविंद्रनाथ त्रिपाठी ने याचिका दायर की है। उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। जिसमें कहा गया कि देश की सभी थाना पुलिस का दायित्व है कि वह दर्ज की जाने वाली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) को अविलंब अपनी अधिकृत वेबसाइट पर अपलोड करे। इसके बावजूद इस दिशा-निर्देश का पालन नही किया जा रहा है। कोर्ट को अवगत कराया गया कि सिवनी जिले में 14 थाने स्थापित हैं। इन सभी थानों में मनमानी की जा रही है। एफआइआर दर्ज तो कर ली जाती है, लेकिन उसे वेबसाइट में अपलोड करने की जिम्मेदारी पूरी नहीं की जाती। इस वजह से जमानत आवेदन दायर करने वाले अधिवक्ताओं को बेहद परेशानी होती है। इससे पूर्व पुलिस अधीक्षक को शिकायत भी सौंपी गई थी, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को इस सिलसिले में राज्य सरकार से निर्देश हासिल कर अवगत कराने का निर्देश दिया। साथ ही जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे की प्रशंसा करते हुए पीआइएल का स्कोप और बढ़ाने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी।
Published on:
21 Jan 2021 07:51 pm
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