31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गवाह मुकर गए, लेकिन सीसीटीवी से नहीं छिप सकी कलयुगी माँ की करतूत, बेटी के कत्ल हुई सजा

- मेरे पुलिस सेवा में मासूम को न्याय दिलाने की एक ऐसी कवायद, जो मेरे दिल और दिमाग से जुड़ गया था

3 min read
Google source verification
crime.png

crime.png

जबलपुर। 07 सितम्बर 2014 की तारीख मैं ताउम्र नहीं भूल सकता। मेरे पुलिस काल की सेवा में अब तक जितने भी केस आए, उसमें ये सबसे विरलतम था। छह माह की मासूम बेटी की हत्या करने वाली मां थी। मुख्य गवाहों में परिवार के लोग थे, जो कोर्ट में मुकर चुके थे। लेकिन मासूम को न्याय दिलाने की ये लड़ाई मेरे दिल और दिमाग से जुड़ गई थी। सोते-जागते बस इस केस के बारे में ही सोचता था। जबलपुर जिला सेशन कोर्ट के इतिहास में पहली बार जब्त डीवीआर में कैद फुटेज देखे गए। साइंटफिक विवेचना और सीसीटीवी फुटेज को कोर्ट ने अहम साक्ष्य माना और गवाहों के मुकरने के बावजूद मां को मासूम बेटी के कत्ल का दोषी माना और सजा सुनाई।
अपहरण की मिली थी पहली सूचना-
सात सितम्बर 2014 को मैं थाने में पहुंचा ही था कि तभी फोन की घंटी बजी और सूचना मिली कि जेक्सन कम्पाउंड निवासी सुशील आहूजा की छह महीने की बेटी आरोही का अपहरण हो गया। मां रितु आहूजा ने बताया कि वह बच्ची को घर में छोडकऱ रिज रोड पर मार्निंग वॉक के लिए निकली थी। वहां से लौटी तो बेटी पलंग पर नहीं थी। मामले में धारा 364 आईपीसी का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई। मामला हाईप्रोफाइल परिवार से था। इस कारण मौके पर आईजी उपेंद्र जैन, डीआईजी मकरंद देउस्कर, एसपी हरिनारायणचारी मिश्रा, एसपी सिटी अमरेंद्र सिंह, एएसपी क्राइम आशीष खरे और सीएसपी ओमती अजीम खान भी पहुंच गए।
मां रितु आहूजा के बदलते बयानों से संदेह-
अधिकारियों ने भी मां रितु आहूजा से पूछताछ की, लेकिन हर बार उसके बयान में तब्दीली दिखी। प्रथम सस्पेक्टेड वहीं थी, लेकिन मां होने के चलते न तो उस पर सीधे हाथ डाल सकते थे और न ही सख्ती। इसके बाद उसके बयानों को क्रास चेक किया गया। रितु ने जहां-जहां जैसे-जैसे बताया था, उसका रिक्रिएशन कराया। फिर वहां मार्निंग वॉक करने वाले दूसरे लोगों से पुष्टि करायी। किसी ने भी उसके मार्निंग वॉक पर देखने की पुष्टि नहीं की। वहां के कैमरों की जांच में भी वह नहीं दिखी। इससे उस पर संदेह और गहरा गया। इस बीच किसी तरह की फिरौती का कॉल भी नहीं आया।
एक इंफार्मर की सूचना से खुली गुत्थी-
11 सितम्बर को एक इंफार्मर का कॉल आया कि उसने वारदात वाली सुबह भाभी जी (रितु) को बिरमानी पेट्रोल पम्प के पास स्कूटी से कहीं से आते हुए देखा था। ये सूचना मेरे लिए महत्वपूर्ण थी। इस सूचना के बाद जांच की एक दिशा मिली। बिरमानी पेट्रोल पम्प से लेकर आहूजा परिवार के घर तक लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। वहीं बिरमानी पेट्रोल पम्प से आगे कटंगी वाली रोड पर लगे फुटेज भी खंगालने शुरू किए। कटंगा स्थित रोज ब्यूटी पार्लर में लगे सीसीटीवी कैमरे में रितु स्कूटी से जाते हुए और लगभग एक घंटे के बाद लौटते हुए दिखी। फुटेज को ध्यान से देखने पर पता चला कि जाते हुए उसने मदर कैरी बैग में बेटी को लिए थी, लेकिन लौटते समय कुछ नहीं दिख रहा था।
फुटेज दिखाते ही टूट गई, फिर हुआ झकझोर देने वाला खुलासा-
सीसीटीवी फुटेज दिखाते ही रितु टूट गई। वारदात के नौवें दिन 14 सितम्बर को उसे हिरासत में लिया। उसने बताया कि वह बेटी को कैरीबैग में भरकर फेंक आई थी। फिर उसकी निशानदेही पर रामपुर साई मंदिर के सामने झाडिय़ों में मासूम के कपड़े, ेकैरीबैग, गले का लॉकेट, अवशेष जब्त किया गया। इसका डीनएन प्रोफाइल मैच कराया गया, जो मां रितु और पिता से मैच कर गया। प्रकरण में परिवार सहित कुल 15 गवाह बने। साक्ष्य के तौर पर सीसीटीवी का डीवीआर भी जब्त किया गया। जिला सेशन कोर्ट में ट्रायल चला। मेरी कोर्ट में सात बार पेशी हुई। कोर्ट में एक्सपर्ट बुलाकर डीवीआर की फुटेज देखी गई। परिवार के बने गवाह तक मुकर गए। फिर भी साइंटफिक विवेचना, जब्त साक्ष्य और सीसीटीवी फुटेज को कोर्ट ने अहम सबूत माना। जिला अदालत द्वितीय अपर जिला सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव की अदालत ने सजा सुनाई।
साइंटफिक विवेचना के लिए रूस्तमजी अवार्ड
रितु को एक बेटा है। वह बेटे को लेकर कुछ ज्यादा ही फिक्र करती थी। आरोही से पहले भी उसक एक महीने की बेटी की असामान्य मौत हुई थी। उसके फैमिली डॉक्टर ने बताया था कि रितु ने दूध अटकने की बात कही थी। हालांकि चिकित्सक के पास बेटी को मृत हालत में लेकर वह और परिवार के लोग पहुंचे थे। इस केस की साइंटफिक विवेचना के चलते मुझे, सीएसपी रहे अजीम खान और एएसपी आशीष खरे को रूस्तमजी अवार्ड मिला था। यह पहला केस था, जिसने सीसीटीवी के महत्व को उजागर किया।