बताया जा रहा है कि इसके प्लांट को लगाने के लिए जल्द ही जनसुनवाई हो सकती है। इस कंपनी का काम महुआ से सिर्फ शराब बनाने का लक्ष्य नहीं है बल्कि यहां आने वाले समय में महुआ समेत यहां के जंगलों में मिलने वाली जड़ी-बूटियों, दुर्लभ पौधों और महुआ के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर विकसित करना है। जिससे की बस्तर के संसाधनों का अंतरराष्ट्रीय मार्केट तैयार किया जा सके।
Bastar Liquor: विदेशी बाजारों में बिकेगी
कंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक महुआ का फार्मूला बनाने के लिए नीदरलैंड की विशेषज्ञों की टीम से बात की गई है। इसके लिए मशीनरी भी नीदरलैंड से आयात करेंगे। जिसके जरिए महुआ आधारित शराब उत्पादित करने के लिए तैयार है जो भारत और विदेश में उच्च वर्ग के बाजारों के लिए होगा। जब कुछ वर्षों के बाद पहला चरण सफल होता है तो हम अधिक रोजगार पैदा करने के लिए संयंत्र की क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है।
महुआ का जीआई टैग भी बस्तर के हिस्से
कंपनी का कहना है कि महुआ के लिए समर्पित एक शोध और विकास केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम चल रहा है। यह केंद्र न केवल उत्पादन तकनीकों को परिष्कृत करेगा बल्कि नए (Bastar Liquor) उत्पादों का आविष्कार भी करेगा। जिससे यह सुनिश्चित होगा कि महुआ की गुणवत्ता और विशिष्टता बेजोड़ बनी रहे। इस दृष्टि का एक अभिन्न हिस्सा महुआ के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग को सुरक्षित करना है। यह न केवल आत्मीयता को सुरक्षित करेगा बल्कि इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी। बस्तर में बस्तर बोटेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा महुआ विशेष डिस्टिलरी की स्थापना की जा रही है। जो लाइसेंस प्राप्त करने के बाद काम शुरू करेगी। यहां लगने वाले प्लांट की क्षमता एक हजार लीटर प्रतिदिन का उत्पादन करेगी। वहीं परियोजना के पहले चरण के लिए करीब 5 करोड़ का निवेश होगा। जिसके लिए 3 एकड़ की भूमि की जरूरत है। पर्यावरण विभाग के अनुसार इसके मुख्य संयंत्र के लिए 3000 वर्ग मीटर और ग्रीन बेल्ट के लिए करीब 2 एकड़ की जरूरत होगी। डिस्टिलरी परियोजना के द्वारा रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
Bastar Liquor: बस्तर कलेक्टर ने कहा…
महुआ से डिस्टिलरी बनाने के लिए एक कंपनी ने रूचि दिखाई है। इसके लिए धुरागांव में जगह का चयन किया गया है, लेकिन प्लांट को लगाने के लिए स्थानीय लोगों की सहमति जरूरी है। इसलिए जल्द ही जन सुनवाई की जाएगी। यदि हरी झंडी मिलती है तो कंपनी यहां प्लांट (Bastar Liquor) लगाने का काम शुरू कर सकती है। फिलहाल लोगों की सहमति जरूरी है इसलिए 10 जून को इसकी सुनवाई गांव में ही की जाएगी।