
बस्तर का अनाथ पहली बार सात समंदर पार जिएगा अपनी जिंदगी, विदेशी दम्पती ने लिया गोद
शेख तैय्यब ताहिर/जगदलपुर. अक्सर जो बच्चे लावारिस मिलते हैं या फिर समाज के डर से त्याग दिए जाते हैं उन्हें गुमनामी की जिन्दगी जीने या मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। इन बेसहारा बच्चों को सरकार आसरा देने के लिए अनाथ आश्रम चलाती है। ताकि इन मासूमों को आशियाना मयस्सर हो सके। ऐसी ही एक बदकिस्मत अनाथ बच्चे आकाश की किस्मत का सितारा आफताब बनकर चमकने लगा है। तीन साल पहले अपनों से बिछड़कर अनाथ हुए आकाश पर किस्मत मेहरबान हुई है। उसे दोबारा मां-बाप की गोद मिली है। इस बार उसके माता-पिता यूएसए के दम्पती बने हैं। जिन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर उसे गोद लिया और अब उसे अपने साथ सात समुंदर पार लेकर जाएंगे। वहीं बस्तर के बच्चे को विदेशी दंपती के गोद लेने का यह अपने आप में पहला मामला है।
यूएसए के उटाहा में परवरिश पाएगा आकाश
बस्तर सामाजिक जन विकास समिति के शिशु सदन में पिछले कुछ दिनों से उत्सव व कुछ दुख का माहौल भी है। दरअसल तीन साल का आकाश को गोद लेने यूएसए के उटाहा के चाल्र्स विलियम और उनकी पत्नी चंद्रा ड्रिविलिन बर्ट खुद यहां आए। यहां दंतेवाड़ा के सीजेएम कोर्ट में पेश होकर उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी की। विदेश में रहने वाले इस परिवार में विलियम ऑटो मोबाइल कंपनी में सर्विस कंसलटेंट हैं वहीं चंद्रा ड्रिविलियन पार्ट टाइम नर्स का काम करती हैं। उन्होंने इससे पहले भी महाराष्ट्र से एक लड़की को गोद लिया था। समिति के सचिव सुशील पांडे ने बताया कि आकाश उन्हें 2 साल 10 महीने पहले मिला था।
दुनिया भर से आए थे ऑनलाइन आवेदन
समिति ने नियमानुसार आकाश की डिटेल के साथ भारत सरकार की साइट केंद्रीय दत्तक अभिकरण में डाल दिया था। गोद लेने के लिए दुनिया भर से लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किए। आकाश की जानकारी के हिसाब से यूएसए के दंपती ने गोद लेने की इच्छा जताई थी। इसके लिए काफी समय से प्रक्रिया चली। आकाश का पासपोर्ट बनवाया गया है। इसके बाद सोमवार को दम्पती को आकाश सौंपा जाएगा।
आकाश बना चाल्र्स आकाश बर्ट
दम्पती ने आकाश को लेने के दौरान उसका नाम चाल्र्स आकाश बर्ट रखने का निवेदन किया। यह भी बस्तर में अपने आप में पहला मामला था। इसके लिए भी तेजी से औपचारिकताएं पूरी की गई। इसके बाद अर्जेंट में पासपोर्ट बनवाने का आवदेन किया। बताया जा रहा है कि पासपोर्ट बन गया है। समिति सोमवार को विधिवत आकाश को विदेशी दम्पती को सौंपेंगे।
फाइटर है आकाश
समिति के सदस्य बताते हैं आकाश विशेष बच्चा है। उसका जन्म सातवें महीने में ही हो गया था। पैदा होते ही आकाश समिति के हाथ में चला गया था। इसलिए उसे बचाना भी काफी चुनौतीपूर्ण था। इसके बाद पता चला कि उसके हाथ और पैर की उंगलियां चिपकी हुईं है। इसके लिए दो ऑपरेशन किए गए। इसलिए समिति के सचिव सुशील पांडे, परियोजना समन्वयक अनिल कर्मा, जीतेंद्र कर्मा का कहना है कि तमाम पेरशानियों से लड़ता हुआ आकाश अपने आप में फाइटर है।
Published on:
09 Jul 2018 12:33 pm
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