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काफी लज़ीज़ और स्वादिष्ट होता है बस्तर का सांभर कहा जाने वाला आमट, बांस की टहनी में किया जाता है तैयार

Bastar Aamat: बस्तर क्षेत्र अपने खान-पान, पहनावा और रहन-सहन के लिए काफी प्रसिद्ध है। खाने की बात करें तो इसके लिए भी यह अन्य जगहों से बहुत भिन्न है। स्वाद के साथ ही यहां के आहार स्वास्थय के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बस्तर अंचल के सांभर के बारे में जिसे आमट कहा जाता है।

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काफी लज़ीज़ और स्वादिष्ट होता है बस्तर का सांभर कहा जाने वाला आमट, बांस की टहनी में किया जाता है तैयार

बस्तर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति, खानपान, पहनावा, रहन-सहन इत्यादि बाकी जगहों से बिल्कुल अलग होता है। अपनी गौरव गाथा आदिम संस्कृति के लिए बस्तर पूरे विश्व में विख्यात है। बस्तर क्षेत्र के ग्रामीण तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं। कम संसाधनों में भी बेहतर जीवन जीने की कला यहां के ग्रामीणों में देखी जाती है।

बस्तर क्षेत्र अपने खान-पान, पहनावा और रहन-सहन के लिए काफी प्रसिद्ध है। खाने की बात करें तो इसके लिए भी यह अन्य जगहों से बहुत भिन्न है। स्वाद के साथ ही यहां के आहार स्वास्थय के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बस्तर अंचल के सांभर के बारे में जिसे आमट कहा जाता है।

बाँस की टहनी में किया जाता है तैयार
आमट को राज्य के बस्तर अंचल का सांभर माना जाता है। राज्य का यह स्वादिष्ट व्यंजन मिश्रित सब्जियों के साथ तैयार किया जाता है जिसे पकवान के स्वाद को बढ़ाने के लिए अदरक लहसुन पेस्ट और विभिन्न मसालों के साथ पकाया जाता है। पारंपरिक रूप से इस पकवान बाँस की टहनी में तैयार किया जाता है। बांस सामग्री के स्वाद को बरकरार रखता है और डिश में अनूठी सुगंध भी जोड़ता है।

इमली का उपयोग
आमट पकाने की यह प्रक्रिया बस्तर के दूरस्थ अंचलों में आज भी प्रचलित है। हालांकि शहरी क्षेत्रों में आधुनिक उपकरणों से पकवान तैयार किया जाता है। यह छत्तीसगढ़ की विशेष पकवानों में से एक है। इस पकवान को बनाने के लिए बस्तर के लोग इमली का उपयोग करते हैं। दिवाली के त्योहार में यह पकवान सभी घरों में बनाया जाता है। यहाँ के लोग इस पकवान को खिचड़ी के साथ खाना बहुत पसंद करते हैं। स्वाद में यह बहुत ही लाजवाब होता है।

पर्यटकों को खूब लुभाता है आमट
आमेट को पकाने की यह प्रक्रिया अभी भी बस्तर के सुदूर इलाकों में प्रचलित है। यह एक आदिवासी भोजन है जो आधुनिक रसोई में भी विरासत में मिला है। यह भोजन अक्सर मेहमानों के आने पर बनाया जाता था, लेकिन अब सामान्य घरों और होटलों में इसे एक विशेष खाद्य पदार्थ के रूप में तैयार किया जाता है, जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को खूब लुभाता है।