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इस वजह से चरमराई जिला अस्पताल की व्यवस्था, जुकाम की दवाएं तक नहीं मिलती यहां

मेडिकल स्टोर से अधिक कीमत में दवाएं खरीदने को मजबूर है मरीज के परिजन

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इस वजह से चरमराई जिला अस्पताल की व्यवस्था, जुकाम की दवाएं तक नहीं मिलती यहां

जगदलपुर. आचार संहिता के चलते स्वास्थ्य विभाग को वित्तीय वर्ष २०१९-२० के लिए अब तक फंड जारी नहीं हुआ है। सीजीएमएसई ने दवाओं की सप्लाई भी नहीं हो रही है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के पास फंड का टोटा होने की वजह से लोकल पर्चेस भी नहीं हो पा रही है, जो मरीजों के लिए मुसीबत बनी हुई है। ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर से अधिक कीमत पर दवाई खरीदनी पड़ रही है।

सीजीएमएससी जनवरी से बुखार, दर्द व शुगर की दवाई सप्लाई ढप
स्वास्थ्य विभाग और जीवन दीप समिति के पास भी इतना फंड नहीं है, कि दवाओं की लोकल खरीदी कर सके। सीजीएमएससी के पास दवाओं को स्टॉक, मांग व खरीदी तक की प्रक्रिया ऑनलाइन है। बावजूद सीसीएमएससी समय पर दवाओं की खरीदी नहीं कर पा रहा है। इससे राशन कार्ड और स्मार्ट कार्ड होने के बावजूद मरीजों को मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदनी पड़ रही है। दवाओं की व्यवस्था के लिए सिविल सर्जन ने मेडिकल कॉलेज से जितनी दवाओं की मांग की थी, उसका एक चौथाई ही मिल पाया। जो कुछ दिनों में ही खत्म हो गया। अब आचार संहिता हटने के बाद ही स्वास्थ्य विभाग को फंड जारी हो पाएगा।

इस प्रकार होती है सीजीएसएससी में दवाओं की खरीदी
सीजीएमएससी मांग के अनुसार दवाओं की खरीदी के लिए टेंडर करता है। खरीदी के बाद दवाओं की क्वालिटी टेस्ट किया जाता है। यदि कोई दवाई क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया, तो उसका टेंडर निरस्त कर दिया जाता है। इसके बाद फिर दवा खरीदी के लिए टेंडर निकालते है। दरअसल दवाओं की क्वालिटी टेस्ट के लिए प्रदेश में एक भी लैब नहीं है, जांच के लिए बाहर भेजना पड़ता है। इन सारी प्रक्रियाओं में करीब डेढ से दो महीने लग जाता है।

दर्द की दवाई का फेल हो गया क्वालिटी टेस्ट
सीजीएमएससी से मिली जानकारी के अनुसार फरवरी में दर्द की दवाई डाइक्लोफेनेक की खरीदी के लिए टेंडर किया गया था, जो क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया। इसके बाद दोबारा टेंडर किया गया है, जो अब तक अंडर प्रोसेस है। इससे पूरे प्रदेशभर में डाइक्लोफेनेक टेबलेट की समस्या बनी हुई है।

सिविल सर्जन डॉ. विवेक जोशी ने बतायसा कि, सीजीएमएससी से दवाई की सप्लाई नहीं हो रही है। वहीं अब तक स्वास्थ्य विभाग को फंड भी नहीं मिला है, जिससे दवाओं की लोकल खरीदी नहीं कर पा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज से भी कुछ दवाओं की मांग की गई थी। इसमें मांग का एक चौथाई ही मिला है।