
लोकतंत्र के महापर्व में दी अपने जवान बेटों की आहुति
कोण्डागांव। CG Election 2023 : लोकतंत्र के महापर्व का वैसे तो हर किसी को इंतजार रहता है जब मतदाता अपने वोटरूपी आहुति देकर अपना नेता चुन विकास की बागडोर उसके हाथ में छोड़ देता है। लेकिन जिले में कुछ ऐसे भी परिवार है जिन्होंने इसी लोकतंत्र के महापर्व में अपने जवान बेटो की आहुति दी है। विकास के रास्ते में रोड़ा बनने वाले नक्सलियों के द्वारा लोकतंत्र के महापर्व में अपनी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियाें को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कोण्डागांव के मर्दापाल की ओर से मतदान करवाकर पैदल लौट रही मतदान दल पर गोलावंड के पास नक्सलियों के द्वारा किये गए एक बारूदी विस्फोट में सात पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इनमें से तीन एसटीएफ के जवान कोण्डागांव के रहने वाले थे और आपस में एक अच्छे दोस्त भी थे। इन जवानों की ड्यूटी मतदान दल को सुरक्षित वापस लाने की थी,लेकिन विस्फोट में इन तीनों ही जवानों की मौत हो गई। तो आइए इनके परिवार जनों से चर्चा कर जानते है लोकतंत्र का महापर्व उनके लिए कितना महत्व रखता है।
शहीद आरक्षक गणेशराम नेताम के किसान पिता अंधारूराम नेताम कहते है कि, मतदान तो कर किसी को हर हाल में करनी ही चाहिए, तभी सबकुछ ठीक रह सकता है। अंधारूराम ने बताया कि, उनका शहीद बेटा गणेश चारो-भाई बहन में सबसे छोटा था। इसलिए उसे सब बेहद प्यार करते थे, चुनाव डृयूटी के दौरान विस्फोट में वह शहीद हो गया। वे कहते है कि, एक पिता को अपने जवान बेटे को खोने का दुख तो आज भी है और हर बार चुनाव के दौरान उनकी आंख नम होती है। वे कहते है कि, विकास और सुरक्षा के लिए अपना मतदान करना जरूरी हैं, हम अपना अच्छा नेता चुनेगे तभी हमें यह दोनों मिल पाएगी।
इन्हें हाथ में लगी थी गोली
वर्ष 2008 के ही चुनाव के दौरान रेंगागोदी मतदान दल में शामिल रहे फारेस्ट गार्ड छेदीलाल को वोटिंग करवाकर मतदान दल के साथ लौटते वक्त बीच रास्ते में दल पर फायरिंग करनी शुरू की थी। जिसमें छेदीलाल को हाथ में गोली लगी थी। वे कहते है कि, मैं अपनी वर्दी में था और सकुशल वोटिंग करवाकर सभी जवानों के साथ लौट रहे थे। उसी दौरान अंधाध्ूान फायरिंग हुई और सभी उधर-उधर हो गए थे। मुझे गोली लगी थी यह भी मुझे पता नही चला पर एक साथी ने बताया कि, हाथ से खून निकल रहा है तब मुझे एहसास हुआ और उन्होंने कपड़ा आदि बांधकर मेरी मौके से मेरी जान बचाई थी। वही शिक्षक रमेश सोनपिपरे कहते है कि, मेरी ड्यूटी बीजापुर इलाके में लगी थी, उस समय बस्तर व कोण्डागांव एक ही जिला हुआ करता था नक्सलियों ने हमारी पोटिंग पार्टी के साथ लूटपाट की थी।
Published on:
15 Oct 2023 03:17 pm
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