धरमपुरा पीजी कालेज में प्राणी विज्ञान विषय के डा सुशील दत्ता ने बताया कि यह आवाज आजकल बगीचों से और
जंगल से दिनभर सुना जा सकती है । दरअसल यह तीखी आवाज निकालकर नर साइकाड़ा मादा को आकर्षित करता है। यह कीट 120 डेसीबल तीव्रता की ध्वनि उत्पन्न करता है।
CG News: अधिक ध्वनि उत्पादन के लिए इनके उधर में विशेष अंग जिसे टिंबल कहते हैं पाया जाता है। यह टिंबल एक गड्ढे के ऊपर झिल्ली के रूप में मढ़ा रहता है जैसे की ढोल के ऊपर चमड़ा और मांसपेशियों से इस झिल्ली के तेजी से फड़फड़ाने से तीव्र आवाज पैदा होती है।
17 साल में वयस्क होने वाली इस कीड़े की आयु वयस्क अवस्था में मात्र कुछ ही दिनों की होती है। क्योंकि प्रजनन के बाद ही नारा और मादा मर जाते हैं। मादा प्रजनन करके अंडे पेड़ की छाल के नीचे दे देते हैं । इसके अंडे और अवयस्क बच्चे मिट्टी में 8 फीट नीचे तक सुरंग बनाकर रहते हैं। वयस्क होने पर बाहर आते हैं और अपने प्रजनन काल मतलब मई जून जुलाई तक आवाज उत्पन्न करते हैं।