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CG News: मेडिकल कॉलेज में आभा ऐप बना परेशानी का सबब, ग्रामीण मरीजों को हो रही भारी दिक्कत

CG News: मरीजों का कहना है कि हमारे पास स्मार्टफोन नहीं है। लेकिन पर्ची कटाने के लिए परिजन को बुलाकर एप डाउनलोड करने कहा जा रहा है। मेकाज प्रबंधन का कहना है कि आभा ऐप के जरिए इलाज की प्रक्रिया तेज करने की कोशिश की जा रही है।

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CG News: मेडिकल कॉलेज में आभा ऐप बना परेशानी का सबब, ग्रामीण मरीजों को हो रही भारी दिक्कत

CG News: मेडिकल कॉलेज में इलाज की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए शुरू किया गया आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) ऐप अब मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को इस ऐप के इस्तेमाल में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

CG News: कर्मचारियों को सहायता के लिए तैनात किया गया

मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा ओपीडी में पंजीकरण के लिए आभा ऐप डाउनलोड करने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन कई मरीजों, खासकर बुजुर्गों और ग्रामीणों के पास स्मार्टफोन नहीं होने से वे इलाज से वंचित हो रहे हैं।

मरीजों का कहना है कि हमारे पास स्मार्टफोन नहीं है। लेकिन पर्ची कटाने के लिए परिजन को बुलाकर एप डाउनलोड करने कहा जा रहा है। मेकाज प्रबंधन का कहना है कि आभा ऐप के जरिए इलाज की प्रक्रिया तेज करने की कोशिश की जा रही है। कुछ शुरुआती दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को सहायता के लिए तैनात किया गया है।

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ऐप के जरिए पंजीकरण

मेडिकल कॉलेजों में ओपीडी सेवाओं को पूरी तरह डिजिटल करने के लिए प्रशासन आभा ऐप के जरिए पंजीकरण को अनिवार्य कर रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के नियमों के अनुसार, शत-प्रतिशत मरीजों को आभा आईडी के जरिए ही परामर्श देना अनिवार्य है। इस नियम ने मरीजों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।

मरीजों की मुश्किलें

CG News: ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों के लिए ऐप का इस्तेमाल चुनौती बन गया है। कई मरीजों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, और जिनके पास हैं, वे तकनीकी जानकारी के अभाव में ऐप का उपयोग नहीं कर पा रहे। सादे मोबाइल फोन पर आभा आईडी बनाना संभव नहीं है, जिसके चलते मरीजों को पंजीकरण में दिक्कत हो रही है। इसके अलावा, बुजुर्ग मरीजों को ओटीपी प्राप्त करने और उसे दर्ज करने में भी परेशानी हो रही है।