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विलुप्त होने के कगार पर हैं संस्कृति की पहचान कराने वाले छत्तीसगढ़िया आभूषण, जानिए आखिर क्या है वजह

Chhattisgarhiya Ornaments: हर स्त्री को गहने और आभूषण पहनना अच्छा लगता है। नर हो या नारी सभी आभूषण पहनना पसंद करते हैं। प्राचीन काल से ही मनुष्य आभूषण पहनने का शौकीन रहा है। इसलिए सदियों से मनुष्य अपने हर अंगों को गहनों से सुसज्जित करता आया है।

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छत्तीसगढ़िया आभूषण

Chhattisgarhiya Ornaments: हर स्त्री को गहने और आभूषण पहनना अच्छा लगता है। नर हो या नारी सभी आभूषण पहनना पसंद करते हैं। प्राचीन काल से ही मनुष्य आभूषण पहनने का शौकीन रहा है। इसलिए सदियों से मनुष्य अपने हर अंगों को गहनों से सुसज्जित करता आया है। लेकिन देखा जाता है कि गहने पहनने के मामले में पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक भाग्यशाली एवं आगे होती है। आभूषण महिलाओं श्रृंगार है। आभूषण स्त्री श्रृंगार का एक अभिन्न हिस्सा है। प्रत्येक अंग के लिए अलग-अलग गहने होते हैं।

छत्तीसगढ़िया स्त्रियों की बात करें तो उनमें यही बात है कि जिस तरह भाषा किसी क्षेत्र की पहचान होती है, गहने भी उस क्षेत्र की पहचान कराते हैं। एक दौर में छत्तीसगढ़ी महिलाएं तोड़ा, सुर्रा, पुतरी, करधन इत्यादि बनाती थी। लेकिन अब कई चीजें लुप्त होने के कगार पर है।

खिनवा, करनफुल, फुल्ली, ढोरे खिनवा, मंगलसूत्र, चाबी गुच्छा, फुल्ली, पिन, खोचनी, बिछिया पट्टा, चैन, मुंदरी, अवरीदाना, सुर्रामाला, टोडा, हाफ करधन, हर्रेया, कड़ी करधन, पैरी, लच्छा, कटही, एठी, बनुरिया, साठी, सुता, ककनी, पेजन, रुपिया माला, हसनी, पेड़ी, पहुंची हथनी, इत्यादि छत्तीसगढ़ी आभूषण है।

आभूषणों से सुशोभित होते थे वनांचल की महिलाएं
वनांचल की अनूठी संस्कृति अनुरूप आभूषण आज तेजी से गायब होती जा रही हैं। करीब एक दशक पूर्व छत्तीसगढ़ी महिलाओं के शरीर में कई प्रकार आभूषण होते थे, सर से लेकर पाँव तक छत्तीसगढ़ी संस्कृति स्पष्ट रूप से झलकती थी। सर में दुमेंग, पुंजरा, क्लिप, बांस की कंघी और एक चाकू जिसे महिला बालों पर और पुरुष गले में टांगा करते थे, महिला व पुरुष दोनों गले में बहुत सारी मालाएं चकरी, ककसाक दुमेंग साथ ही गले में फीता से बने फूल, महिलाएं सिक्के से बनी माला आदि पहनती थीं।

छत्तीसगढ़ी महिलाओं के कान व नाक में बड़े-बड़े पीतल, स्टील खिनवा, उंगलियों में गोल रिंग व रिंग, हाथों में स्टील व एल्युमिनियम से बनी चूड़ी, पैरो में साटी गोल रिंग होते थे। इसके साथ ही वे बिछिया भी पहनते थे, जो अब नजर नहीं आते।

ये है आभूषणों के विलुप्ति की मुख्य वजह
छत्तीसगढ़ी आभूषणों के विलुप्त होने की कई साड़ी वजहें हैं। नव सभ्यता के साथ अतीत का पतन होना, नव पीढ़ी का अतीत के प्रति रुझान न लेना, शिक्षित होना जिससे नए चीजों प्रति रुझान होना, घोटुल का विनाश होना, नव पीढ़ी द्वारा अपने अतीत को न सजोना न संरक्षण करना, धर्म परिवर्तन भी आदिम संस्कृति पतन का मुख्य कारण है। साथ ही साथ शहरीकारण, पुलिस कैम्पों का खुलना, डिजिटालाइजेशन जैसे अनेक कारण हैं जिस वजह से आदिम संस्कृति व सभ्यता की परिचायक उन आभूषण व विशिष्ट पहनावा आज विलुप्ति के कगार पर है।