
स्टेफी ने ओलामिक स्तर का खिलाड़ी बनाने की ठान ली है।
अजय श्रीवास्तव। केरल राज्य के केलिकाट में स्थापित है पीटी ऊषा एकेडमी। इस एकेडमी में चयनित होने की कठिन परीक्षा पास करने के बाद 10 साल तक स्टेफी अब्राहम ने यहां ट्रैक एंड फील्ड के सभी गुर सीखे। एशियाड विजेता पीटी ऊषा ने स्टेफी की प्रतिभा को ऐसा तराशा की वह 2012 के लंदन ओलंपिक में शामिल होने वाले दावेदारों की कतार में शामिल हो गई।
अंतिम चयन से पहले ही उनका दायां पैर फ्रेक्चर हो गया, और वह एक अंक से चूक गईं। इस फ्रेक्चर से उनके ओलंपिक जाने का ख्वाब चूर हो गया। इसी मलाल को दिल पर लेते हुए स्टेफी ने ओलामिक स्तर का खिलाड़ी बनाने की ठान ली है।
नेशनल गेम्स में बटोरे दर्जनों गोल्ड
पीटी ऊषा एकेडमी में 10 साल गुजारने के दौरान देश के हर प्रतिष्ठित स्पर्धाओं में स्टेफी ने अव्वल आकर दर्जनों गोल्ड मेडल बटोरे। मुंबई, दिल्ली, कालीकट, बंगलुरू, चेन्नई में हुए नेशनल गेम्स में स्टेफी ने कई कीर्तिमान रचे। एशियाड विजेता पीटी ऊषा ने केरल के केलिकाट में ट्रैक एंड फील्ड एकेडमी बनाई है। इस एकेडमी में हर साल 2000 धावकों की चयन स्पर्धा होती है। कई चरण के बाद इनमें से सिर्फ 12 प्रतिभागियों को चुना जाता है। इन्हें वही रखकर पीटी ऊषा अपनी देखरेख में ट्रेंड करती है। इन्ही 12 में से एक चयनित स्टेफी भी थी। स्टेफी ने बताया कि वह चार सौ और आठ सौ मीटर रेस में रिकॉर्ड बना चुकी हैं।
बस्तर के जीन में है खेल
स्टेफी ने पत्रिका से चर्चा में बताया कि बस्तर के आदिवासियों में अच्छे खिलाड़ी बनने की जेनेटिक गुण हैं। यदि इन्हे निखारा जाए तो ये नेशनल और इंटर नेशनल स्तर पर देश का नाम रौशन कर सकते हैं। मेरी भी यही कोशिश रहेगी कि एक ओलंपियन बस्तर से जरूर बनाऊं। स्टेफी बस्तर के धावकों को इंदिरा स्टेडियम में एक माह तक ट्रैक में दौड़ने की बारीकियां सिखाएंगी।
Published on:
12 May 2022 08:49 pm
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