
Health Alert: बस्तर में जूनोटिक बीमारी का खतरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की माने तो पिछले कुछ सालों से जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों की संया तेजी से बढ़ी है। इससे बस्तर के लोग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। पहले कोरोना और उसके बाद डेंगू तो लगभग महामारी का रूप ले चुका था। बस्तर में तो ऐसे करीब एक दर्जन जूनोटिक बीमारी से बस्तरवासियों को हर साल लडऩा पड़ता है।
गौरतलब है कि जूनोटिक रोग वो संक्रामक रोग होते हैं जो कशेरुक जानवरों से मनुष्यों और मनुष्यों से जानवरों में फैलते हैं। जब ये रोग मनुष्यों से जानवरों में फैलते है तो इसे रिवर्स जूनोसिस कहा जाता हैं। जूनोटिक रोग बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद अथवा परजीवी किसी भी रोगकारक से हो सकते हैं। बस्तर मे होने वाले जूनोटिक रोगों में रेबीज, डेंगू, मलेरिया, जेई, स्वाइन लू, बर्ड लू, कोरोना अन्य शामिल हैं।
विभाग के पास पूरे शहर ब्योरा दरअसल विभाग ने कोरानाकाल में ही वार्डों के पूरे डेटा ले लिए हैं। जरूरत है तो अब इन्हें समय समय पर सिर्फ अपडेट करने की। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, कोविड से लेकर डेंगू व अन्य बीमारी के पॉजिटिव आने की तिथि, स्वस्थ्य होने की तिथि के साथ बुखार, सिरदर्द, सर्दी,खांसी, सांस लेने में तकलीफ या दस्त जैसे समस्या की जानकारी शामिल है।
इसके साथ ही परिवार के लोगों को कौन कौन सी बीमारी है और उसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं इस सबंध में जानकारी रखी हुई है। हालांकि इस जानकारी को अपडेट नहीं किया गया है। लेकिन विभाग सूक्ष्म माध्यम से इस पर निगरानी रखने की तैयारी कर रहा है।
सीएमएचओ आरके चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोनाकाल में इस तरह का प्रयास किया गया था। जिसमें कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली। इसे देखते हुए ही इसे तीसरी लहर से अब तक इसे जारी रखने की कोशिश की जा रही है। इसके माध्यम से हम न केवल हर व्यक्ति तक पहुंच सकेंगे। बल्कि उनका बायोडाटा और उनकी बीमारी का रिकार्ड भी तैयार हो जाएगा। साथ ही उसकी टे्रवल हिस्ट्री से लेकर हर वह चीज का रिकॉर्ड होगा जो संक्रमित मरीज और अन्य के लिए जरूरी होती है। इससे काफी मदद मिली।
जूनोटिक बीमारी को रोकने के लिए जिस स्पेशल 400 टीम को तैयार किया गया है। इसमें स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, निगम से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानित तक शामिल है। इस स्पेशल 400 टीम माइक्रो लेवल पर काम करती है। जैसे वार्ड व पंचायत स्तर। जिस इलाके में सबसे अधिक प्रकोप होता है वहां यह स्पेशल टीम 5 से 6 लोगों की टीम बंट जाती है और यहां अपने काम में लग जाती है।
इसमें सीनियर शिक्षक, मितानिन, आंबा कार्यकर्ता और एक पुलिस कर्मचारी शामिल हैं। वहीं मॉनिटरिंग व सहयोग के लिए वार्ड पार्षद भी इसमें शामिल हो जाते हैं। इस पूरी सर्वे की मॉनिटरिंग जोनल ऑफिसर करेंगे। टीम रोटेशन मेथड पर काम करती है। बीमारी के समय यह मरीजों पर नजर रखेंगे और इलाके में कांटेंक्ट ट्रेसिंग की जानकारी भी जुटाते हैं। वार्डानुसार टीम लीडर हर 15-15 दिन की जिमेदारी संभालेगा यानी हर 15 दिन में टीम लीडर अब बदल जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट ने बताया है कि इंसानों को होने वाली 70 फीसदी बीमारियां जूनोटिक है यानी जानवरों से आ रहीं है। ऐसे में इन्हें रोकना भी चुनौती है। स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी जानकारी है इसलिए उन्होंने ऐसे बीमारियों को रोकने के लिए स्पेशल 400 की टीम तैयार की है। इसमें ऐसे बीमारियों में एहतिहात बरतते हुए जांच करने से लेकर उसका इलाज करने व दवा पहुंचाने के लोग शामिल है। इस तरह की किसी भी बीमारी से निपटने के लिए यह टीम हमेशा स्टैंड बाय में रहती है।
Updated on:
06 Jul 2024 02:11 pm
Published on:
06 Jul 2024 02:10 pm
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