
मड़िया पेज
Madiya Pej Bastar: छत्तीसगढ़ में पारा तेजी से बढ़ रहा है। उत्तर पश्चिम से आ रही गर्म हवाओं ने तल्ख तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। कड़ी धूप व गर्मी से हलाकान लोगों को चौबीस घंटे एसी, कूलर का सहारा लेना पड़ रहा है। लोग गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए बाजार से सॉफ्ट ड्रिंक खरीदकर पीते हैं। कोल्ड ड्रिंक में हानिकारक रसायन भी होते हैं जो शारीरिक जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में रहने वाले आदिवासी एक ख़ास तरह का पेय पीते हैं, जो गर्मियों में शरीर में ठंडकता बनाए रखती है।
मिट्टी से जुड़े आदिवासी गर्मियों में खुद को एक विशेष आहार के साथ ठंडा रखते हैं, जिसे "मंडिया पेज"(Madiya Pej Bastar) कहा जाता है, जो रागी पाउडर और उबले हुए चावल के बासी पानी से बना सूप है।गांव में रहने वाले लोग अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए खूब मंडिया पेज पीते हैं। यह सभी घरों में तैयार किया जाता है और बहुत ही किफायती होता है।
पेय तैयार करना बहुत आसान है। रागी को पीसकर उसमें उबले हुए चावल का बासी पानी मिलाकर एक ढके हुए पात्र में दो-चार दिन तक रखा जाता है। एक बार यह सूप खट्टा हो जाता है, तो यह खाने के लिए तैयार हो जाता है। यह न केवल शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद करता है, बल्कि दिन भर की मेहनत के बाद तरोताजा भी साबित होता है।
आदिवासी जीवन में इस तरल आहार के महत्व का सबसे अच्छा अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह 'हाट' (साप्ताहिक बाजारों) में भी बेचा जाता है।
दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम पर जाने के दौरान वे 'मंडिया पेज'(Madiya Pej Bastar) से भरा एक बर्तन लेकर जाते हैं। इस पेय के लिए आदिवासियों के बीच उम्र कोई बाधा नहीं है। तीन साल से छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक, हर कोई इस पेय का आनंद उठाता है। मंडिया पेज का सेवन बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी करते हैं। शरीर को ठंडा रखने के साथ-साथ यह पौष्टिक भी होता है।
Published on:
15 Apr 2023 07:40 pm
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