
बस्तर दशहरा का ये भी है एक नियम, हर गांव से परिवार के एक सदस्य को करना होता है ये काम, वरना भरना पड़ेगा जुर्माना
Bastar Dussehra 2019 जगदलपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए इन दिनों किलेपाल परगना के 34 गांवों में खासा उत्साह है। दरअसल ये ग्रामीण आने वाले दिनों में शहर में रथ खींचने जो पहुंचेंगे। रथ परिक्रमा में केवल किलेपाल के माडिय़ा जनजाति के लोग ही इसे खींचते हैं। दशहरा में किलेपाल परगना से दो से ढाई हजार ग्रामीण रथ खींचने यहां पहुंचते हैं।
जाति के लोगों को रथ खींचने का जिम्मा
किलेपाल परगना के 34 गांव से माडिय़ा जनजाति बाहुल्य हैं। इसमें हर गांव से परिवार के एक सदस्य को रथ खींचने जगदलपुर आना ही पड़ता है। इसकी अवहेलना करने पर परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जुर्माना लगाया जाता है। मिली जानकारी के अनुसार माडिय़ा जाति के लोग शारीरिक रुप से बलवान होते हैं। इस वजह से इस जाति के लोगों को रथ खींचने का जिम्मा दिया गया है।
रथ खींचने 30 गांवों से लाई जाती है सियाड़ी पेड़ की छाल
रथ को खींचने के लिए सियाड़ी के पेड़ की छाल से रस्सी बनाई जाती है। रस्सी बनाने के लिए 30 गांवों से सियाड़ी के पेड़ की छाल लाई जाती है। इससे ही रस्सी तैयार किया जाता है। इस रस्सी का निर्माण पिछले 40 सालों से करंजी के टंडीराम बघेल और उनके परिवार के लोग करते आ रहे है। दशहरा खत्म होने पर लोग इसके छोटे-छोटे टूकड़े अपने घर ले जाते हैं। मान्यता है कि इससे धन वैभव प्रतिष्ठा के साथ वंशवृद्धि होती है। हालांंकि समय के साथ अब इसमें परिवर्तन होता जा रहा है। अब नायलोन के रस्से के साथ इसे उपयोग में ला रहे हैं।
आज से रोजाना होगी रथ परिक्रमा
सोमवार से फूल रथ परिक्रमा विधान शुरू होगी। इसमें सिरहासार भवन से गोलबाजार, गुरुगोङ्क्षवद सिंह चौक होते हुए मां दंतेश्वरी मंदिर तक रथ खींचे जाएंगे। पांच दिनों तक इसी प्रकार रथ खींचा जाएगा। इसमें जगदलपुर ब्लॉक के करीब 36 गांव के लोगों रथ खींचने आते हैं। हर दिन ८ सौ से एक हजार ग्रामीण रथ खींचने पहुंचते है। इसके बाद ८ और 9 अक्टूबर को भीतर रैनी और बाहर रैनी पूजा विधान के बाद रथ परिक्रमा फिर से शुरू होगा। इस दौरान किलेपाल के माडिय़ा जाति के लोग रथ खींंचने पहुंचेंगे।
Published on:
30 Sept 2019 12:10 pm
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