22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देश के सबसे बड़े परिवहन संघ बीपीएस की 2 साल की बंदी के बाद जगी थी आस, कोरोना ने फिर तोड़ दी कमर

देश के सबसे बड़े परिवहन संघ में से एक है बस्तर परिवहन संघ, बस्तर की अर्थव्यवस्था में भी इनका बड़ा रोल

2 min read
Google source verification
देश के सबसे बड़े परिवहन संघ बीपीएस की 2 साल की बंदी के बाद जगी थी आस, कोरोना ने फिर तोड़ दी कमर

देश के सबसे बड़े परिवहन संघ बीपीएस की 2 साल की बंदी के बाद जगी थी आस, कोरोना ने फिर तोड़ दी कमर

जगदलपुर. कोरोना से जंग के घोषित किए लॉकडाउन की वजह से बस्तर परिवहन संघ के साढ़े ४ हजार ट्रकों के पहिए पिछले एक महीने से थमें हुए हैं। देश के सबसे बड़े परिवहन संघ में से एक इस संघ के सदस्यों की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। एक माह से ट्रकों के पहिए हिले नहीं हैं, अब उनके सामने ट्रक डाइवरों, कंडेक्टरों को वेतन और भत्तें देने के साथ ही किश्त चुकाने की भी समस्या है। इतना इनमें से अधिकतर लोगों के पास एक ही ट्रक हैं। उनके रोजी-रोटी का जरिए इस ट्रकों के परिवहन से कमाए हुए पैसों से होते हैं।

बस्तर परिवहन संघ के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा बताते हैं कि बीपीएस में करीब 2700 ट्रक रजिस्टर्ड हैं। वहीं 2000 ट्रक अप्रत्यक्ष रूप से संघ में जुड़े हुए हैं। इनमें से पिछले एक महीने में हर दिन एक से दो गाड़ी छोड़ दें तो सारी गाडियां खड़ी हुईं है। इनमें से भी सबसे अधिक लोग एक गाड़ी वाले हैं। जिनकी जीविका पूर्णत ट्रक पर निर्भर हैं। अब इन लोगों के पास आय है नहीं। वहीं ट्रक के ड्राइवर व कंडेक्टर को वेतन, भत्तें देने होंगे। क्योंकि उनका परिवार ज्यादा गरीब हैं वे पूरी तरह से ट्रक संचालकों के उपर ही निर्भर हैं।

टैक्स व इंश्योरेंस में छूट देने की मांग
बीपीएस के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने बताया कि वे पुराने टैक्स को लेकर मंत्री मोहम्मद अकबर से मिले थे। इस पर उन्होंने राहत भी दी। लेकिन यह समस्या और भी बड़ी नजर आ रही है। इसलिए एक बार फिर सरकार से राहत के लिए टकटकी लगाए हुए हैं। वे चाहते हैं कि सरकार टैक्स और इंश्योरेंस में छुट दें। जिससे की ट्रक संचालकों के उपर से बोझ कुछ कम हों।

दो साल की बंदी के बाद जगी थी आस, अब कोरोना ने कमर तोड़ दी
बीपीएस की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। तीन साल पहले एनएमडीसी में एकाधिकार को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ। इसकी जद बीपीएस तक पहुंची और प्रशासन ने इसे सील कर दिया था। दो साल बाद इसे खोला गया। ट्रक संचालकों में उम्मीद जगी की अब व्यापार फिर से चलने लगेगा। अब एक साल बाद अब कोरोना ने इस व्यवसाय को भी अपना शिकार बना लिया है। जिससे संचालकों की कमर टूट गई है। बस्तर में ट्रक व्यवसाय से करीब २५ हजार परिवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप जुड़ा हुआ है।