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दो मंजिला इमारत से जंगल खोजने वाले मौसम विभाग ने चार दिन में 843 लोगों की फ्लाइट कर दी कैंसिल

मौसम विभाग पुरातन तरीकों से एयरपोर्ट को दे रहा विजिबिलिटी, इसी वजह से लगातार कैंसिल हो रही फ्लाइट

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दो मंजिला इमारत से जंगल खोजने वाले मौसम विभाग ने चार दिन में 843 लोगों की फ्लाइट कर दी कैंसिल

एलायंस एयर

जगदलपुर। शहर से संचालित हो रही एलायंस एयर की नियमित फ्लाइट पिछले चार दिनों से लैंड नहीं कर पा रही है। मौसम की खराबी का हवाला देकर फ्लाइट को लगातार कैंसिल किया जा रहा है। 11 सितंबर से 14 सितंबर के बीच 843 यात्रियों की फ्लाइट कैंसिल हुई है। दरअसल डीजीसीए ने एयरपोर्ट के लिए पांच हजार मीटर की विजिबिलिटी तय की है और पर्याप्त विजिबिलिटी नहीं होने पर फ्लाइट को रद्द किया जा रहा है। पत्रिका ने जब लगातार कैंसिल होती फ्लाइट की असल वजह जाने के लिए पड़ताल की तो मालूम चला कि मौसम विभाग एलायंस की फ्लाइट को विजिबिलिटी बताने के लिए पुरातन तरीके इस्तेमाल कर रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी के दौर में मौसम विभाग ऊंची जगह पर चढ़ जंगल और बिल्डिंग देख विजिबिलिटी तय कर रहा है। जबकि विजिबिलिटी तय करने का यह कोई प्रोफेशनल तरीका नहीं है। इसके लिए हर एयरपोर्ट में मॉर्डन इक्यपमेंट लगाए जाते हैं। साथ ही इसके लिए तय विजिबिलिटी के आधार पर लैंडमार्क भी तय किए जाते हैं जिन्हें देखकर विजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जाती है। जगदलपुर एयरपोर्ट के लिए मौसम विभाग के पास कोई लैंडमार्क ही नहीं है। मौसम विभाग की दो मंजिला बिल्डिंग से अगर लामनी का जंगल दिख जाता है तो विजिबिलिटी दे दी जाती है और ऐसा नहीं होता तो विजिबिलिटी नहीं देते। जबकि ऐसी स्थिति में कई बार एयरपोर्ट के ऊपर चक्कर काट रहे पायलट को रनवे स्पष्ट रूप से दिख रहा होता है और वह सुरक्षित तरीके से लैंडिंग के लिए तैयार होता है। एयरपोर्ट में बैठे एलायंस के लोग भी एटीसी टावर पर चढ़ विजिबिलिटी स्पष्ट होने की जानकारी मौसम विभाग को देते हैं फिर भी पर्याप्त विजिबिलिटी नहीं दी जाती और फ्लाइट कैंसिल कर दी जाती है। मौसम विभाग के पिछड़ेपन का खामियाजा बस्तर की जनता भुगत रही है।

30 से 40 साल पुराने तरीके अपना रहा मौसम विभाग
मौसम विभाग जगदलपुर एयरपोर्ट को विजिबिलिटी देने के लिए ३० से ४० साल पुराने तरीके अपना रहा है। मौसम विभाग के पास विजिबिलिटी तय करने के लिए आरवीआर नामक सिस्टम नहीं है। इसके अलावा उसके पास कोई ऊंचा टावर भी नहीं है जहां खड़े होकर वह विजिबिलिटी की मैन्यूअल रिडिंग ले सके। ऐसी स्थिति में एक से दो मंजिला इमारत पर चढ़ फ्लाइट की लैंडिंग तय कर दी जा रही है।

एलायंस प्रबंधन की मौसम विभाग सुनने को तैयार नहीं
मौसम विभाग विजिबिलिटी तय करने के लिए जो तरीके अपनाता है वह किसी भी आम व्यक्ति के लिए संभव है। ऐसे में जब एलायंस प्रबंधन के लोग विजिबिलिटी से संबंधित जानकारी मौसम विभाग तक पहुंचाते हैं तो मौसम विभाग की ओर से नियुक्ति किए गए व्यक्ति रवि रंजन के द्वारा कहा जाता है कि आप लोग एक्सपर्ट नहीं हैं और आप अपना काम करिए। कई बार इस व्यक्ति के द्वारा एलायंस के स्टाफ से विवाद भी किया जाता है जब एलायंस प्रबंधन इसकी शिकायत करने की बात कहता है तो उन्हें कह दिया जाता है कि जहां शिकायत करना है कर लो हम तो अपने तरीके से ही विजिबिलिटी देंगे।

एटीसी टावर पर चढ़-उतर देते हैं रिपोर्ट जो नहीं करते स्वीकार
एलायंस एयर का स्टाफ खराब मौसम की स्थिति में एटीसी टावर पर हर १५ मिनट में चढ़-उतरकर मौसम विभाग को जानकारी देता है लेकिन इस जानकारी को मौसम विभाग स्वीकार नहीं करता जबकि मौसम विभाग का काम ही एलायंस का स्टाफ कर रहा होता है। यात्रियों की परेशानी को देखते हुए एलायंस प्रबंधन का प्रयास होता है कि किसी तरह विजिबिलिटी मिल जाए लेकिन मौसम विभाग के रवैये के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाता।

लैंडमार्क के संबंध में दे चुके जानकारी
हमारे पास लैंडमार्क नहीं है। इसकी जानकारी हम उच्च अधिकारियों को दे चुके हैं। जितने संसाधन हैं उसी से बेहतर रिपोर्ट देने की कोशिश कर रहे हैं।
आरके सोरी, मौसम वैज्ञानिक, जगदलपुर केंद्र