
Millions of sea turtles came to the coast of Odisha
अजय श्रीवास्तव। जगदलपुर। ओडिशा का गंजाम जिला, इसी जिले में स्थित है है गोपालपुर। गोपालपुर का एक छोर बंगाल की खाड़ी को छुता है। इस लंबे समुद्री तट पर इन दिनों लाखों की तादाद में कछुए आकर बसेरा किए हुए हैं। दूर जहां तक नजर जाती है इन कछुओं को रेंगते हुए देख सकते हैं। श्रीलंका से आए ये समुद्री कछुए ओलिव रीडले प्रजाति के हैं। इस जगह वे अपने अंडे देने के लिए हर साल आते हैं। स्थानीय शासन- प्रशासन, वन विभाग, एनजीओ, कारपोरेट व वन्यप्रेमी रतजगा कर इन कछुओं व उनके अंडों को परजीवियों से बचाने जुटे हुए हैं। इन्ही बचाव वाली टीम में बस्तर में पले- बढ़े रॉकी मार्टिन भी शामिल हैं। रॉकी वहां टाटा स्टील फाउंडेशन में सीएस्आर हेड के रूप में पदस्थ हैँ। इसके अलावा वे विभिन्न संरक्षण अभियानों से भी जुड़े हैँ। इसमे आलिव रिडले सी टर्टल कन्सर्वेशन भी शामिल हैं।
पूरे समुद्री तट की करते हैं सफाई: गोपालपुर, पोडेमपेटा, गौखुरखुदा, बातेश्वर के समुद्रीतट पर इन कछुओं के आमद की तैयारियां दो माह पहले से शुरु हो जाती हैं। इसके लिए सामुदायिक भागीदारी से बीच एरिया का सारा कचरा हटा दिया जाता हैं। आसपास की हाईमास्ट लाइटों को भी बुझा दिया जाता है। पूरा प्राकृतिक व सुर क्षित माहौल बनाया जाता है। इसके बाद कछुओ की आमद शुरू होती है।
इस साल आए 6 लाख से ज्यादा कछुए: रॉकी मार्टिन ने बताया कि ओलिव रिडले कछुओ के आने का पूरा साइंटिफिक डाटा रखा जाता है। समुद्री जीव विज्ञानी इनकी टैगिंग भी करते हैं। इस साल करीब 6 लाख से ज्यादा मादा कछुए इस तट पर आ चुकी हैं। एक मादा कछुआ सौ से अधिक अंडे देती हैं। अंडों को रेत में दबाकर वे समुद्र की ओर वापस चली जाती हैं। इन अंडो से 45 दिन के बाद बच्चे बाहर आ जाते हैं। वे सीधे समुद्र की अेार चलने लगते हैं।
Published on:
12 Mar 2023 08:27 pm
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