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सात दिनों तक किडनैप कर रखा.. नक्सलियों ने सुनाया था जवान के मौत का फरमान, समाज व परिजनों की दखल से बची जान

बीजापुर जिले के उसपरी गांव से 29 सितंबर को अगवा हुए जवान शंकर कुडियम को नक्सलियों की कथित जन अदालत में पहले मौत का फरमान सुना दिया था ।  

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सात दिनों तक जवान को रखा किडनैप.. नक्सलियों ने सुनाया था मौत का फरमान, समाज व परिजनों की दखल से बची जान

सात दिनों तक जवान को रखा किडनैप.. नक्सलियों ने सुनाया था मौत का फरमान, समाज व परिजनों की दखल से बची जान

जगदलपुर। Naxal Terror : बीजापुर जिले के उसपरी गांव से 29 सितंबर को अगवा हुए जवान शंकर कुडियम को नक्सलियों की कथित जन अदालत में पहले मौत का फरमान सुना दिया था, लेकिन समय पर पहुंचे सर्व आदिवासी समाज और उसके परिजनों की गवाही से आरक्षक की जान बच पाई।

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शिक्षादूत बन बच्चों को पढ़ाता था

नक्सलियों के चंगुल से छूटने के बाद शंकर ने बताया कि बस्तर फाइटर में चयन के पहले वह शिक्षा दूत के रूप में स्कूल में बच्चों को पढ़ाया करता था, लेकिन पारिवारिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसने बस्तर फाइटर बल में आवेदन किया, जहां उसका चयन आरक्षक पद पर हो गया। तब उसने फ़ोर्स ज्वॉइन कर लिया। वह अपने काम से मतलब रखता है। क्षेत्र में उसका किसी से कोई विवाद नहीं है।

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समाज की अपील पर जन अदालत लगी

नक्सलियों के डीवीसी सदस्य सुखलाल ने जन अदालत के दौरान लोगों को बताया कि शंकर पुलिस का जवान था इसलिए ग्रामीणों ने उसे मार डालने को कहा था, लेकिन समाज और परिजनों की अपील के कारण एक बार फिर उससे पूछताछ की और फिर समाज और परिजनों से पूछताछ के बाद लोगों से चर्चा कर पूर्व के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए शंकर कुडियम को कुछ शर्तों पर छोड़ने का निर्णय लिया।

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शंकर ने बताया कि वह अपने मित्र को लेने उसपरी गांव गया था तो गांव के बाहर नक्सलियों कि मौजूदगी थी। नक्सलियों को ज़ब जानकारी मिली कि डीआरजी का एक जवान गांव में घूम रहा हैं तो उन्होंने उसे पकड़ लिया और लगातार उससे पूछताछ की जाती रही है।

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जवान बताता है कि दिन में उसे किसी घर में रखा जाता था और उसे वहां भोजन पानी भी नियमित रूप से दिया जाता था। जब भी नक्सली कहीं आते जाते थे तो उसे भी साथ ले जाते थे। इस दौरान अलग - अलग नक्सलियों के साथ वह रहता था, लेकिन न तो उससे मारपीट की गई और न ही प्रताड़ना दी गई।