
बस्तर में शांति स्थापित करने फिर छिड़ेगा 1910 वाला ये आंदोलन, मगर कुछ इस तरह से
जगदलपुर . बस्तर में शांति स्थापित करने के लिए अब शांतिप्रद भूमकाल आंदोलन करने की रणनीति तैयार हो रही है। आगामी फरवरी में यह शुरू होगा। इसमें सरकार पर आदिवासियों से किए वादे को पूरा करने के लिए दबाव बनाया जाएगा और माओवाद प्रभावित इलाके में देशभर के गोंडीभाषी लोग अलग-अलग दल बनाकर यहां पहुंचेेंगे और शांति के लिए आगे आने की अपील करेंगे। यह बात हाल ही में 11 दिनों की शांति मार्च निकालकर सीमांघ्र के शबरी माला आश्रम से निकलकर जगदलपुर पहुंचने वाले दल के संयोजक सुभ्रांशु चौधरी ने यहां के गोयल धर्मशाला में बस्तर डॉयलॉग कार्यक्रम के दौरान तय की।
11 दिनों के शांति मार्च के बाद बस्तर पहुंचे पदायात्रियों ने यहां के गोयल धर्मशाला में अपने अनुभव शेयर किए। इसके बाद बस्तर में किस तरह शांति लाई जा सकती है, इस पर लंबी चर्चा चली। इसके लिए अलगे बारिश तक के लिए पाइपलाइन या रणनीति भी तैयार की।
रणनीति... शांति मार्च करने वाले पदयात्री शनिवार को जगदलपुर पहुंचे। यहां उन्होंने सरकार पर आदिवासियों से किए गए वायदे को पूरा करने के लिए दबाव बनाने की बात कही। यह पदयात्रा पखवाड़े भर पहले चेट्टी से निकली थी।
सरकार पर दबाव के लिए
सुभ्रांशु ने कहा कि सबसे पहले सरकार पर दबाव बनाने भी प्रयास किया जाएगा। क्यों कि एलेक्स पॉल मेनन घटना के बाद सरकार ने निर्मला कमेटी बनाई थी। इसमें जेल में बंद आदिवासियों पर फिर से पुनर्विचार कर निर्दोष लोगों को रिहा करने की बात थी। लेकिन पिछले सात साल से यह कमेटी ने कुछ नहीं किया है फैसला लेने के लिए दबाव बनाएेंगे। साथ ही बातचीत के लिए उचित माहौल तैयार करेगी।
गोंडीभाषियों का दल करेगा शांति की अपील
सुभ्रांशु ने कहा कि दूसरे कार्यक्रम क तहत गोंडीभाषी वाले लोगों को एक मंच पर लाया जाएगा। चे अलग-अलग टीम बनाकर माआेवादियों के प्रभाव वाले इलाकों में पहुंचेंगे और उनसे कहा जाएगा कि या तो गोली मार दो या फिर शांति वार्ता की बात सूनो। शांति के रास्ते उन्हें बताएं जाएंगे। ताकि शांति के दोनो पक्ष तैयार हो सकें।
सभी आदिवासी नेताओं को निमंत्रण देकर बस्तर की शांति
के लिए एक भूमकाल आंदोलन किया जाएगा। लेकिन यह बिरसामुंडा के आंदोलन की तरह विद्रोह नहीं बल्कि शांतिप्रद तरीके से शांति के लिए लोगों को एकजुट किया जाएगा। इस कार्यक्रम को फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में करने की रणनीति तैयार हो रही है। हालांकि इसकी तिथि तय नहीं की गई है।
अब रायपुर तक साइकिल यात्रा होगी
सुभ्रांशु ने बताया कि यह शांति मार्च 11 दिन की पदयात्रा के बाद बस्तर पहुंची। जिस तरह से जनसमर्थन मिला है, उसे देखते हुए सरकार पर बनाने के लिए जगदलपुर से रायपुर के लिए अब साइकिल यात्रा निकाली जाएगी।
मुरिया दरबार में मांझियों से एक घंटे करेंगे बैठक, शांति लाने होगी चर्चा
बस्तर में शांति चल रहे प्रयासों को शांति मार्च के संयोजक सुभ्रांशु चौधरी मुरिया दरबार में मांझियों से भी साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि राजमाता ने उन्हें मांझियों से एक घंटे का समय दिया है। इसमें उन्हें शांति के चल रहे प्रयासों को लेकर जानकारी दी जाएगी।
क्या है भूमकाल आंदोलन
सन 1910 अंग्रेजों के शासनकाल में उनके दमन के विरूद्ध बस्तर के स्वतंत्रता सेनानी व गुंडाधुर ने भूमकाल आंदोलन झेड़ा था। भूमकाल आंदोलन ने अंग्रेज शासन को हिला के रख दिया था। यह आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध आदिवासियों का एक सबसे बड़ा सशस्त्र आंदोलन था।
Published on:
14 Oct 2018 12:55 pm
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