
पढि़ए बैडमिंटन से जुड़े ऐसे खिलाडिय़ों के बारे में, कैसे इस खेल ने इनकी जिंदगी बदल दी
जगदलपुर. दो बार घुटने की सर्जरी होने के बाद भी खेल के प्रति जुनुन कम नहीं हुआ। एक समय ऐसा भी आया की डॉक्टरों ने उन्हें बैडमिंटन खेलने से मना कर दिया। फिर भी वे हार नहीं माने और कड़ी मेहनत कर देशभर के बैडमिंटन खिलाडिय़ों में टॉप ५९ में जगह बना ली।
रायपुर के 22 वर्षीय सुजय तंबोली ने बताया कि वह १४ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू किया। 2013 में इंदौर में टूर्नामेंट खेलने के दौरान गंभीर चोट लग गई, जिससे उन्हें घुटने की सर्जरी करानी पड़ी। इस दौरान सुजय देश के टॉप 30 प्लेयर में से थे। इसके बाद 2018 में प्रैक्टिस के दौरान फिर जखमी हो गए। फिर उन्हें घुटने की सर्जरी करानी पड़ी। इस बार डॉक्टरों ने सुजय को बैडमिंटन से दूर रहने की सलाह भी दिए, लेकिन वे हार नहीं माने। सर्जरी के कुछ महीने बाद एक बार फिर बैडमिंटन कोर्ट में उतरे और एक साल की कड़ी मेहनत के बाद अब वह देश के टॉप ५९ प्लेयर बने।
पिता से प्रेरणा लेकर शुरू किया खेलना और आज 100 से अधिक बच्चों को दे रहे प्रशिक्षण
दुर्ग निवासी 53 वर्षीय जयंत देवांगन अपने पिता से प्रेरणा लेकर 11 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया। उन्होंने ने बताया कि वे अब तक 4 इंटरनेशल मैच पदक भी हासिल कर चुके। उन्होंने पहला इंटरनेशनल मैच खेलने 2003 में यूरोप गए। इसके बाद 2015 में स्वीडन, 2017 में केरल और 2019 में पोलैंड में इंटरनेशल मैच में पदक हासिल किए हैं। अब वे अकादमी शुरू कर सौ से ज्यादा बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
65 सालों में आज तक बीपी, शुगर नहीं जांचा
बिलासपुर के दीपक राजनकर ने बताया कि वे शारीरिक रूप से फीट रहने के लिए 30 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किए। आज उनकी उम्र 65 वर्ष हो गई है और उन्हें आज तक बीपी, शुगर की जांच कराने की जरूरत ही नहीं पड़ी। फिटनेश के साथ ही वे बैडमिंटन में कई मैडल भी हासिल कर चुके हैं। वे रोज सुबह 5.30 बजे उठते हैं और रोजाना बैडमिंटन की प्रैक्टिस करते हैं। साथ ही शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए व्यायाम भी करते हैं।
Published on:
07 Dec 2019 01:28 pm
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