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जहां जमानत बचाने के पड़ जाते हैं लाले

बस्तर : वर्ष 2018 में 12 सीटों पर 86 थे मैदान में और 63 दावेदारों की जमानत हो गई थी जब्त

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मध्यप्रदेश चुनाव 2023

यह बस्तर है। सोच-समझकर चुनावी समर में दो-दो हाथ करने के लिए उतरना। क्योंकि, यहां का मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करने के बारे में बहुत सजग है। जो उसके एक बार समझ में आ गया, उसी के पक्ष में मतदान कर देता है। यदि बिना सोचे समझे मैदान में उतरे तो जमानत तक बचाने के लाले पड़ जाएंगे।

यह बात हम यों ही नहीं कह रहे हैं बल्कि वर्ष 2018 में हुए चुनाव के नतीजे गवाही दे रहे हैं। बस्तर की 12 सीटों में यहां केवल आमने-सामने की ही लड़ाई पर मतदाताओं ने भरोसा जताया है। छोटे दल हों अथवा निर्दलीय सभी की जमानत जब्त हो गई।

सबसे ज्यादा प्रत्याशियों की जमानत जब्त

वर्ष 2018 के चुनाव में बस्तर की 12 सीटों में यदि सर्वाधिक प्रत्याशी कहीं थे, तो वह थी बस्तर संभाग मुख्यालय की जगदलपुर विधानसभा सीट। इस सीट पर तमाम उम्मीदों के साथ भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस के अलावा अन्य छोटे दल व निर्दलीयों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। प्रचार के दौरान घर-घर गए और वादे करते हुए वोट भी मांगे, लेकिन जनता ने बड़ा झटका दिया। इस चुनाव में रेकॉर्ड 21 में से 19 प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हुई थी।

सात में दो महिलाएं ही जुटा सकीं जरूरी वोट

इस वर्ष के चुनाव में अंतागढ़, केशकाल, नारायणपुर और दंतेवाड़ा, जगदलपुर सीट से महिलाएं सामने आई थीं। ये सभी प्रत्याशी जमानत राशि बचाने के लिए जरूरी वोटों को भी नहीं ले सकीं, नतीजतन इनकी जमानत जब्त हो गई। गौरतलब है कि इसी चुनाव में कोंडागांव से भारतीय जनता पार्टी की लता उसेंडी और दंतेवाड़ा से कांग्रेस की देवती कर्मा भी चुनाव में उतरी थीं। ये दोनों महिलाएं चुनाव जरूर हारी, लेकिन अपनी जमानत राशि बचाने में कामयाब हो र्गइं।

मनीष ने बचाई छोटे दल की लाज

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में एक रोचक पहलू यह भी रहा कि 12 में से केवल कोंटा सीट ही ऐसी थी, जिसमें भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा यदि किसी तीसरे प्रत्याशी की जमानत राशि बची, तो वह थे भाकपा के मनीष कुंजाम। गौरतलब है कि अन्य सभी सीटों पर इन दलों के अलावा अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हो गई थी।

80 फीसदी तक हुआ था मतदान

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत भी काफी अच्छा रहा था। चित्रकोट सीट पर जहां 80 फीसदी वोटिंग हुई थी, तो जगदलपुर में 78 प्रतिशत वोट पड़े थे। यहीं चुनाव था, जब बस्तर सीट पर कांग्रेस के लखेश्वर बघेल ने सर्वाधिक 58 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त किए थे।

जमानत जब्त का क्या होता है मतलब

राष्ट्रपति से लेकर पंचायत सदस्य तक के चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग एक राशि नियत करता है। नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ ही प्रत्याशी को तय राशि जमा करानी होती है। मतदान में कुल पड़े वोटों का छठवां हिस्सा यानी कि एक लाख वोट पड़े हैं तो प्रत्याशी को कम से कम 16,666 वोट चाहिए होंगे। 16,666 वोट पाने पर जमानत राशि वापस मिल जाएगी। किसी प्रत्याशी को इससे कम वोट मिलने पर आयोग उस राशि को जब्त कर लेगा। सामान्य अथवा आम बोलचाल की भाषा में इसे जमानत जब्त होना कहा जाता है।