
चोट को सुखाने के साथ ही सर्पदंश व नशा को उतारने कामयाब है
जगदलपुर। ब्रिटिश सरकार ने सतपूड़ा के जंगल में पाई जाने वाली औषधीय महत्व के दहमन पेड़ को जड़ से उखाड़ देने का हुक्म दिया था, इसका कारण इतना ही था कि इस पौधे के पत्ते का लेप गोंड व कोरकू आदिवासी लड़ाके युद्ध में लगे अपने घाव पर लगाते थे। खून का बहाव रोकने व चोट भरने के विशेष गुण की वजह से घबराए ब्रिटिश सरकार ने सतपूड़ा की पहाडिय़ों में इसके पेड़ों का समूल नष्ट करने अपने रेजीमेंट को कह दिया था।
औषधीय गुणों से भरपूर दहमन के पेड़ को बस्तर के ग्रामीण दहीमन, दहीपलाश व ढेंगन कहकर पहचानते हैं। माचकोट इलाके के ग्रामीण इसकी पत्तों पर रेंगने वाली चीटियों को सूखाकर, भूनकर और चूर्णबनाकर मिर्गी, माइग्रेन व सुरक्षित प्रसव के लिए उपयोग में लाते हैं।
इन चार वैज्ञानिकों ने खोज निकाला
बायोसाइंस के प्रोफेसर डा. एमएल नायक, पीजी कालेज के जूलाजी विभागाध्यक्ष डा. सुशील दत्ता, डा. राजेंद्र सिंह व डा. पीआरएस नेगी ने ग्रामीणों से सुनी इस बात की तस्दीक करते अपने जारी अनुसंधान में माचकोट के घने जंगल में दहमन के इस पौधे को खोज निकाला है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि लगभग नष्ट होने के कगार पर इस पौधे के संरक्षण व संवर्धन के लिए वे प्रयास कर रहे हैं पर अब तक सफलता हासिल नहीं हुई है।
सर्पदंश व नशा को उतारने कामयाब
दहमन के पौधे में चोट को सुखाने के साथ ही सर्पदंश व नशा को उतारने भी वैज्ञानिकों ने कामयाब बताया है। ग्रामीणों ने बताया कि जिस घर पर शराब बन रही है यदि इस पेड़ की डंगाल उसकी छप्पर पर डाल दी जाए तो शराब नहंी पकती है। इसके अलावा इस पेड़ की छांव में बैठकर शराब पीने पर नशा काफूर हो जाता है।
एंटी वेनम, एंटी आक्सीडेंट, एंटी बैक्टिरियल भी है
दहीपलाश नाम के इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम कार्डिया मेकलियोडी है। एंटी एलरगेसिक, एंटी वेनम, एंटी आक्सीडेंट व एंटी माइक्रो बैक्टिरियल गुणों से भरपूर इसके पेड़ की पत्तियां, छाल, जड़ का उपयोग कई तरह की बीमारियों में बेहद कारगर है।
इस संजीवनी पर भी मंडरा रहा संकट
रक्त का बहाव रोकने, चोट को भरने, सर्पदंश, माइग्रेन, मिग्री, सुरक्षित प्रसव करवाने व नशा को उतारने उपयोग किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर दहमन के पेड़ का अस्तित्व संकट में है। जानकारी के अभाव में इसके पेड़ पर लगातार कुल्हाड़ी चल रही है। अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिकों ने इसकी प्रजाति के संकट में होने पर अलर्ट जारी किया है। उनका कहना है कि इसके प्रगुणन करने के प्रयास जारी है पर सफलता नहीं मिल पाई है। दहमन के अनुसंधान में शामिल डा. सुशील दत्ता ने बताया कि माचकोट में इसका पाया जाना बेहद आश्चर्य जनक है। ऐसे पौधों को बचाना जरुरी है।
संकट में प्रजाति
बायोसाइंस के प्रोफेसर डा. एमएल नायक ने बताया कि हाल ही में माचकोट रेंज के फारेस्ट में दौरा के दौरान यकायक अनुसंधान करने वाले दल को दहमन के पेड़ मिला। आरंभिक तौर पर पता चला है कि इसमें एंटी एलरगेसिक, एंटी वेनम, एंटी आक्सीडेंट व एंटी माइक्रो बैक्टिरियल गुण हैँ। इसके प्रगुणन का प्रयास भी जारी है। इस प्रजाति पर संकट इसे बचाना होगा।
Published on:
21 Feb 2022 12:56 am
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