25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

4 दिनों बाद कांटो के झूले पर झूलते हुए नन्ही बालिका बस्तर को विश्व का सबसे बड़ा पर्व मनाने की देगी अनुमति

75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरे के सबसे महत्वपूर्ण विधान काछनगादी के लिए 4 दिन बचे हैं। इस पारंपरिक रस्म के लिए जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं।  

less than 1 minute read
Google source verification
4 दिनों बाद कांटो के झूले पर झूलते हुए नन्ही बालिका बस्तर को विश्व का सबसे बड़ा पर्व मनाने की देगी अनुमति

4 दिनों बाद कांटो के झूले पर झूलते हुए नन्ही बालिका बस्तर को विश्व का सबसे बड़ा पर्व मनाने की देगी अनुमति

जगदलपुर. बस्तर दशहरा का सबसे महत्वपूर्ण रस्म काछन गादी 28 सितंबर को मनाया जाएगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से काछनगुड़ी की साफ-सफाई और साज सज्जा का काम शुरू कर दिया गया है। इस बार भी अनुराधा बेल के कांटों में झूला झूलेगी। मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी बड़ेमारेंगा निवासी पनका जाति की कुंवारी कन्या अनुराधा (9) बेल के कांटों में झूलकर दशहरा पर रथ संचालन की अनुमति देगी।

Read More: जानिए बस्तर में ऐसा क्या खास होता है जिसकी वजह से सिर्फ यहां नहीं किया जाता रावण दहन

काछन गुड़ी में जल्द ही रहने आएगी
अनुराधा विगत 4 वर्षों से काछन गादी विधान में शामिल होती आ रही है। वह बड़े मारेंगा के प्राथमिक शाला में 5 वी की पढ़ाई कर रही है। अनुराधा अपने परिजन और पुजारी के साथ काछन गुड़ी में जल्द ही रहने आएगी। जिसके बाद काछन गादी रस्म के लिए तैयारियां शुरू की जाएगी। बताया जाता कि इस विधान के लिए दो दिन बाद अनुराधा अपने परिजनों के साथ काछनगादी में पहुंचेगी। 28 सितंबर को काछनदेवी का शृंगार कर उसे कांटों के झूले में लिटाया जाएगा। मान्यता है कि काछनगादी विधान के दिन नन्ही बालिका अनुराधा पर काछनदेवी सवार होंगी।