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देश अघोषित आपातकाल की पीड़ा से जूझ रहा है- तीस्ता सीतलवाड़

सीतलवाड़ ने शुक्रवार को कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर कहा कि देश अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है।

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Vikas Gupta

Dec 10, 2016

Teesta Setalvad3

Teesta Setalvad3

कोलकाता। मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का कहना है कि देश अघोषित आपातकाल की पीड़ा से जूझ रहा है। उन्होंने स्थिति में सुधार के लिए मानवाधिकार आंदोलनों को जन आंदोलनों में बदलने पर भी जोर दिया।

सीतलवाड़ ने शुक्रवार को कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर कहा कि देश अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है। यह बेहद चिंतनीय है कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां भाजपा शासन है, वहां राज्य के कानून केंद्र के अध्यादेश की तरह बिना किसी प्रतिवाद के पारित हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि 2006 के वन अधिकार अधिनियम से लेकर 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम तक सभी को कार्यकारी आदेशों के जरिए खारिज किया जा रहा है। तीस्ता ने कहा के भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ प्रहार नई बात नहीं है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के तहत इस चुनौती में कई गुणा ज्यादा इजाफा हुआ है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात में अगर मानवाधिकार आंदोलनों को जन आंदोलन नहीं बनाया जाएगा, तो सुधार की गुंजाइश बेहद कम है। केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम की कड़ी निंदा करते हुए तीस्ता ने कहा कि नोटबंदी के बाद लोगों की नौकरियां छिन रही हैं और किसान फसलें जला रहे हैं। यह कुछ चूहों को भगाने के लिए पूरा घर जलाने जैसी स्थिति है।

विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत सरकार द्वारा अपने गैर सरकारी संगठन सबरंग ट्रस्ट का स्थायी पंजीकरण रदद् किए जाने को लेकर चर्चा में रहीं कार्यकर्ता ने साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के उत्थान को लेकर भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अन्य राजनीतिक दलों और आरएसएस को एक ही श्रेणी में रखना बुनियादी भूल होगी।

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