सेटलमेंट के समय (वर्ष 1955 में) जमीन खाते की जा रही थी, तब राजस्थान सरकार ने झांझर गांव के लोगों के हक में जो जमीन आई, वह दे दी। वर्ष 1958-59 में जब गुजरात का भूमि सेटलमेंट हुआ, गुजरात के किसानों को भी इसी जमीन का हक दे दिया गया। इसके बाद से ही दोनों गांवों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। दोनों गांवों के किसान अपना हक जताने लगे। लिहाजा 1955 में पनपा विवाद अब तक जारी है।
विवाद सुलझाने के लिए वर्ष 1997 में गुजरात-राजस्थान के अधिकारी और पुलिस मांडवा में एकत्र हुए थे। उस समय दोनों गांवों के किसानों को पाबंद किया गया था। विवाद नहीं मिटने तक बुवाई नहीं करने को कहा। इसके 17 साल बाद 2014 में गुजरात के किसानों ने विवादित जमीन पर खेती शुरू कर दी। दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए। घटना 8 अगस्त 2014 की है, जब दोनों पक्षों में लाठी-भाटा, तीर-कमान से जंग हुई। गोलियां भी चली, जिसमें कई लोग घायल हुए।
भेज रखे हैं 14 प्रकरण
राजस्थान-गुजरात सीमा विवाद उच्चस्तरीय मामला है। कोटड़ा तहसील से जमीन विवाद के कुल 14 प्रकरण उदयपुर कलेक्ट्रेट भेज रखे हैं। पूर्व में दोनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक भी हुई, जिनका समाधान अभी नहीं हुआ है।
भाणाराम मीणा, तहसीलदार, कोटड़ा
— दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पुराना है। दोनों तरफ आदिवासी लोग हैं। झगड़े के बाद नुकसान भी होता है। मुद्दा विधानसभा में उठा चुका हूं। दोनो राज्यों की सरकारें सीमा तय करके विवाद को सुलझा सकती है।