
जयपुर। राजस्थान की 35 हजार खानों में से करीब 23 हजार खानें तीन दिन बाद बंद हो जाएंगी। इससे करीब 15 लाख लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। एनजीटी ने लगभग 23 हजार खानों को 7 नवंबर 2024 तक राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन खान विभाग 12 हजार खान संचालकों के ही एनओसी के लिए आवेदन कर सका। इनमें से भी लगभग 1 हजार खानों को ही एनओसी जारी हो सके हैं।
अब राज्य स्तरीय पर्यावरण समिति की कार्यकाल भी अक्टूबर में खत्म हो चुका है। इससे एनओसी जारी होने की प्रक्रिया थम गई है। प्रदेश सरकार ने नई समिति गठन के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भी भेज दिया है। लेकिन केंद्र की ओर से अधिसूचना जारी नहीं होने के वजह से खान संचालकों के सामने खानें बंद होने का खतरा बढ़ गया है। उधर, एनजीटी ने एमपी व छत्तीसगढ़ राज्यों की सुनवाई के दौरान सोमवार को एनओसी की अंतिम तिथि 7 नवंबर 2024 से आगे बढ़ाने से को लेकर कोई राहत नहीं दी है।
दरअसल, प्रदेश में माइनर मिनरल की खानों व क्लारी लाइसेंस धारकों को 15 जनवरी 2016 से 11 दिसंबर 2018 तक लगभग 24 हजार एनओसी जारी किए गए थे। सितंबर 2018 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी से एनओसी प्राप्त सभी खानों के लिए राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी से एनओसी लेने के निर्देश दिए। इसके लिए 7 नंवबर तक की अवधि तय की गई थी।
एनजीटी के आदेश की पालना में खान विभाग ने सभी खान संचालकों को आवेदन करने के लिए कहा था। लेकिन खान विभाग 24 हजार में से करीब 12 हजार के ही आवेदन करा सका। इन आवेदकों में से भी करीब 1 हजार खान संचालकों को ही राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी एनओसी जारी कर सकी है। इस स्थिति में आवेदन नहीं कर सकी 12 हजार खानों के साथ ही 11 हजार जिन्हें आवेदन के बाद भी एनओसी नहीं मिला। इस तरह दोनों को मिलाकर करीब 23 हजार खानों पर तीन दिन बाद 7 नवंबर को ताले लग जाएंगे।
प्रदेश में 35 हजार प्रधान, अप्रधान और क्वारी लाइसेंस के तहत खानें चल रही हैं। खान विभाग इन खानों के जरिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश में 36 लाख लोगों को रोजगार मिलना मानता है। अब करीब 23 हजार अप्रधान व क्वारी लाइसेंस वाली खानें बंद होने से 15 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार का संकट खड़ा होगा।
प्रधान खनिज - 148
अप्रधान खनिज - 16805
अप्रधान खनिज क्वारी लाइसेंस - 17415
(आंकड़े लगभग में)
राज्य स्तरीय पर्यावरण कमेटी नहीं होने से खान संचालकों के सामने एनओसी का संकट खड़ा हो गया है। कमेटी ही नहीं है तो एनओसी कैसे मिलेगी। उधर, एनजीटी ने भी एनओसी लेने की अतिंम तिथि 7 नंवबर 2024 से आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है।
जे.पी. जाखड़, लीगल एडवाइजर, राजस्थान माइंस एंड क्रेशर एसोसिएशन
Updated on:
05 Nov 2024 03:21 pm
Published on:
05 Nov 2024 02:49 pm
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