गहलोत ने यह बात बुधवार को उनके निवास पर पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि सरकार किसी पार्टी की हो, लेकिन उसे आचार संहिता के चलते प्राकृतिक आपदा में मदद करने में परेशानी आती है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद लोकसभा, फिर पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनाव होते हैं। इसके चलते सरकार ठीक तरह से काम नहीं कर पाती, जिससे लोगों में गलत धारणा बनती है। आज हम दौरे कर रहे हैं और आपदा से नुकसान को देख रहे हैं। चाह कर भी मदद नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में आंधी-तूफान बारिश व बिजली गिरने से काफी नुकसान हुआ है। देशभर में बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होना दुखद है। साथ ही फïसलों के बर्बाद होने से किसान परेशानी में आ गए हैं। हम इसके लिए चिंतित है। नुकसान का आकलन करवाया जा रहा है।
हम चाहते हैं कि किसानों को जल्द मुआवजा मिल जाए। उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह आचार संहिता के दायरें में आएगा या नहीं। सरकार जो भी मदद कर सकती है वो करेगी।
पानी का संकट
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में पानी का इस बार संकट अधिक है। सरकार किसी तरह से कमी नहीं आने देगी। हालांकि लोगों को भी इसे सहन करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने समस्या को दूर करने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी।