मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया ने सरकार से राजस्थान को सरसों प्रदेश घोषित करने की मांग की है। देशभर के सरसों उत्पादन में राजस्थान की भागीदारी 40 से 45 प्रतिशत है। यह एक ऐसी पैदावार है, जो सबसे कम पानी में पैदा की जाती है। देश में जितना खाद्य तेल का उपयोग किया जाता है, उसमें से पचास फीसदी तेल आयात किया जाता है। अखिल भारतीय रबी तिलहन सेमिनार के 43वें संस्करण का आयोजन मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (मोपा) और दी सेन्ट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इण्डस्ट्री एवं ट्रेड (कुईट) ने किया। मोपा एवं कुईट के प्रेसीडेंट बाबू लाल डाटा ने कहा कि सरसों प्रदेश घोषित होने से प्रदेश में नई तेल मिलों की स्थापना होगी, जिससे लाखों रोजगार पैदा होंगे। सरकार को सरसों एवं सरसों तेल को जीएसटी से बाहर रखने, छोटी तेल मिलों के लिए एसएमई केटेगरी में बिजली कनेक्शन के हिसाब से हार्सपावर में बदलाव करने और तिलहन पर आरटीएल लाइसेंस हटाने से कारोबारियों के साथ—साथ आम लोगों को भी इसका फायदा होगा। इस अवसर पर कुईट चेयरमैन सुरेश नागपाल और चेयरमैन क्रॉप कमेटी अनिल चतर और मोपा प्रवक्ता दीपक डाटा भी उपस्थित थे।