
जयपुर. तजाकिस्तान से एमबीबीएस करने वाले भारतीय विद्यार्थियों को अब 6 वर्ष या उससे अधिक का कोर्स करना होगा। तजाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी नई एडवाइजरी के अनुसार इस कोर्स के बाद उन्हें लाइसेंसिंग एग्जाम और असेसमेंट टेस्ट भी देना होगा। साथ ही रूसी और ताजिक भाषा भी अच्छे से पढ़ने की सलाह दी गई है। इसके अनुसार यहां एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को सभी तरह की जानकारी अपने स्तर पर जुटानी है। अतिरिक्त कोर्स अवधि व इंटर्नशिप अवधि बढ़ने की वजह से अतिरिक्त खर्च सहित पूरी मेडिकल की पढ़ाई के बारे में भी भारतीय दूतावास ने विद्यार्थियों को स्वयं जानकारी एकत्र करने को कहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व में जारी विभिन्न एडवाइजरी में स्थानीय विश्वविद्यालयों के संबंद्ध अस्पतालों के बारे में लिखा गया था, लेकिन नई एडवाइजरी में किसी भी अस्पताल की जानकारी नहीं दी गई है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों में असमंजस बना हुआ है कि उनकी इंटर्नशिप कहां और कैसे होगी। इंटर्नशिप होती है तो उसकी फीस कितनी रहेगी और कुल कोर्स के खर्च में कितना अंतर आएगा। भारतीय विद्यार्थियों को तजाकिस्तान में प्रवेश के लिए उपयुक्त विश्वविद्यालय की जानकारी भी नहीं दी गई है। इस एडवाइजरी में दूतावास की ओर से सभी प्रमुख तथ्यों पर विद्यार्थियों को स्वयं निर्णय लेने को कहा गया है।
नहीं हो सकते विदेशियों के लिए दूसरे नियम
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट के अनुसार तजाकिस्तान के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भारतीय एवं पाकिस्तानी विद्यार्थियों के लिए 5 साल का कोर्स, लेकिन स्थानीय नागरिकों के लिए 6 वर्ष का कोर्स बताया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि किसी भी देश की सरकार अपने स्थानीय नागरिकों से पहले विदेशी नागरिकों को मेडिकल प्रैक्टिस के अधिकार कैसे दे सकती है। गजट नोटिफिकेशन एवं भारतीय दूतावास की ओर से जारी नई एडवाइजरी के अनुसार भारतीय विद्यार्थियों के लिए भी 6 वर्ष का कोर्स एवं उसके बाद 1 वर्ष की इंटर्नशिप, लाइसेंसिंग एग्जाम, असेसमेंट टेस्ट रूसी या ताजिक भाषा में भारतीय विद्यार्थियों को देना होगा।
Published on:
12 Aug 2024 02:31 pm
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