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आतंकवाद के नापाक मंसूबों पर कड़ा प्रहार करती है ’72 हूरें’

धर्म की आड़ में आतंक के आकाओं द्वारा आतंकवाद को ख़तरनाक तरीके से इस्तेमाल कर ख़ून-ख़राबा करने और भाईचारे की भावना को कुचलने के कुत्सिक प्रयासों पर बनी एक दिल दहलाने वाली फ़िल्म का नाम है '72 हूरें'। इस फ़िल्म का मक़सद किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करना नहीं है, लेकिन यह कट्टरपंथियों द्वारा रची जाने वाली ख़ूनी साज़िशों का पर्दाफ़ाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।

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आतंकवाद के नापाक मंसूबों पर कड़ा प्रहार करती है '72 हूरें',आतंकवाद के नापाक मंसूबों पर कड़ा प्रहार करती है '72 हूरें'

आतंकवाद के नापाक मंसूबों पर कड़ा प्रहार करती है '72 हूरें',आतंकवाद के नापाक मंसूबों पर कड़ा प्रहार करती है '72 हूरें'

जयपुर। ऐसा कहा जाता है कि आतंकवाद का कोई मज़हब नहीं होता है, लेकिन यह पूरा सच नहीं है और इसका विचलित करने वाला एक दूसरा पहलू भी है। अगर राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किसी धर्म विशेष का इस्तेमाल किया जाता है और इन लक्ष्यों को पाने के लिए आतंकवाद का सहारा लिया जाता है तो यह कहना लाज़िमी हो जाता है कि आतंकवाद का भी अपना एक महज़ब होता है।

धर्म की आड़ में आतंक के आकाओं द्वारा आतंकवाद को ख़तरनाक तरीके से इस्तेमाल कर ख़ून-ख़राबा करने और भाईचारे की भावना को कुचलने के कुत्सिक प्रयासों पर बनी एक दिल दहलाने वाली फ़िल्म का नाम है '72 हूरें' (movie 72 hoorain)। इस फ़िल्म का मक़सद किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करना नहीं है, लेकिन यह कट्टरपंथियों द्वारा रची जाने वाली ख़ूनी साज़िशों का पर्दाफ़ाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।

फिल्म के लेखक अनिल पांडे है व निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान है। रेटिंग में इसे 4 स्टार मिले हैं। मुख्य कलाकारों में पवन मल्होत्रा, आमिर बशीर, सरू मैनी, राशिद नाज़, अशोक पाठक, नम्रता दीक्षित शामिल हैं। फ़िल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले इस विषय पर किस गहनता के साथ रिसर्च किया गया है।