
जयपुर।
राजस्थान सरकार की ओर से भले ही 7th Pay Commission को लागू कर दिया गया हो, लेकिन इसमें सामने आईं विसंगतियों के चलते कर्मचारी संगठनों में आक्रोश देखा जा रहा है। कुछ संगठनों ने इसे सरकार की वादाखिलाफी करार दिया है। संगठनों ने एरियर नहीं देने, वेतन कटौती समेत कई अन्य मुद्दों को पूरा नहीं करने पर नाराजगी जताई है।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि आयोग को लेकर राज्य कर्मचारियों को जैसी आशंकाएं थी, उसी के अनुरूप राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है। ऐसा कर सरकार ने कर्मचारी संघों से पूर्व में किए केन्द्र के समान वेतन भत्तों के समझौते को भी तोड़ दिया है।
संगठनों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने जहां सातवें वेतन आयोग में 1 जनवरी 2016 से नगद भुगतान किया गया है, वहीं राज्य सरकार ने इसे 1 अक्टूबर 2017 से लागू किया है। इससे राज्य कर्मचारियों को 21 महीनों के वेतन का औसतन 1.5 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। इसके अलावा दो वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ते का भी कर्मचारियों को नुकसान हुआ है।
महामंत्री राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि नोटिफिकेशन का अध्ययन करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। सचिवालय सेवा अधिकारी संघ के अध्यक्ष शंकर सिंह मनोहर ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया है। इसको लेकर मुख्यमंत्री को अवगत करवा दिया है।
वहीं राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष मनोज सक्सेना ने कहा कि इसमें मंत्रालयिक कर्मचारियों के बारे में कुछ नहीं है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने सरकार पर पुराने समझौते तोडऩे का आरोप लगाया है। राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रदेशाध्यक्ष गिरीश कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार ने शिक्षकों को न्यूनतम दो वेतन वृद्धियों का नुकसान पहुंचाया है। जल्द ही आंदोलन शुरू किया जाएगा।
डेढ़ से दो लाख कर्मचारियों को लगा झटका
सातवां वेतनमान की अधिसूचना जारी होने के साथ इसकी विसंगतियां भी सामने आ गई। इसके चलते पांचवीं अनुसूची वाले करीब डेढ़ से दो लाख कर्मचारियों-अफसरों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ेगा। इनकी वेतन में करीब पांच से दस हजार रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है। सरकार ने इसे पर्सनल पे से भुगतान करने का आदेश भी जारी किया है। कर्मचारी संगठनों ने इसको लेकर आक्रोश जताया है और इसमें संशोधन की मांग उठा दी है।
राज्य सरकार ने गलत फिक्सेशन वाले कर्मचारियों का री-फिक्सेशन किया। इसके तहत ग्रेड पे 2400, 2800 और 4800 वाले कर्मचारियों का वेतन संशोधित किया। इससे इसमें शामिल कर्मचारियों का वेतन वर्तमान से कम हो गया। यह कमी मामूली नहीं है, अकेले 2400 ग्रेड पे वाले कर्मचारियों को 3344 से 4756 रुपए प्रति माह की कमी हुई है। इसके अलावा 2800 और 4800 वालों के वेतन में अधिक कमी आई है।
सरकार ने कर्मचारियों की नाराजगी कम करने के लिए अधिसूचना के साथ ही पर्सनल पे से इस राशि का भुगतान करने के आदेश जारी कर दिए। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि पर्सनल पे से कुछ नहीं होगा, सरकार ने उनके इंक्रीमेंट समेत कई अन्य तरह का नुकसान किया है।
-किस ग्रेड में कितना नुकसान
-जिस कर्मचारी की वर्तमान में 2400 ग्रेड पे है, उसका मौजूदा बेसिक पे 9840 है। वेतनमान के फार्मूले से कर्मचारी को २५३०० रुपए का भुगतान होना चाहिए था। सातवें वेतनमान में इन कर्मचारियों की बेसिक पे 8080 रह गई, जिससे कर्मचारी को 20800 रुपए का भुगतान होगा। इस ग्रेड पे में कर्मचारियों को अलग-अलग स्तर पर 3344 से 4756 रुपए का भुगतान करेगी।
-जिनकी वर्तमान में 2800 ग्रेड पे है, उनकी मौजूदा बेसिक पे 11170 है। फार्मूले के तहत इन्हें 28700 रुपए वेतन मिलना चाहिए। वहीं अब बेसिक पे को संशोधित करके 10240 कर दिया। जिससे कर्मचारी को 26300 रुपए मिलेंगे।
-जिनकी वर्तमान में 4800 ग्रेड पे हैं, उनकी मौजूदा बेसिक पे 18750 है। इससे कर्मचारी को 48200 रुपए का भुगतान होना चाहिए। जबकि संशोधन से बेसिक पे 16890 हो गई, इससे कर्मचारी को 44300 रुपए का भुगतान होगा।
-सांवत कमेटी के भरोसे
सरकार ने सातवें वेतनमान के लागू करने के साथ ही एरियर व नोशनल फिक्सेशन को लेकर कोई घोषणा नहीं की थी। इसकी जिम्मेदारी सामंत कमेटी पर सौंपी थी।
Published on:
31 Oct 2017 03:04 pm
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