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शेखावत से लिपटकर फफक पड़ी 9 वर्षीय जिया

मंत्री ने बूंदी में घर जाकर बंधाया ढाढस

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शेखावत से लिपटकर फफक पड़ी 9 वर्षीय जिया

शेखावत से लिपटकर फफक पड़ी 9 वर्षीय जिया

बूंदी. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत रविवार सुबह यहां विकासनगर पहुंचे और मेज नदी हादसे के मृतक के परिजनों से मिले। शेखावत देर तक घर पर बैठे और पूरी घटना सुनी। वहां मौजूद लोगों को ढाढस बंधाया।
परिवार में सिर्फ 9 वर्षीय जिया बची, जो शेखावत से लिपटकर फफक पड़ी। लोगों ने उन्हें बताया कि जिया के पिता जितेन्द्र उर्फ जीतू, मां सोनिया एवं छोटी बहन कनिका उर्फ कन्नू की हादसे में मौत हो गई। शेखावत ने कहा कि ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए प्रदेश सरकार ठोस कदम उठाए। दी जा रही मुआवजा राशि बढ़ाए। जिन परिवारों में सिर्फ बच्चे रह गए हैं, उनके लिए पृथक से घोषणा करे। लौटते वक्त शेखावत ने माजी साहब के कुंड का हाल देखा।
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बांधों की सुरक्षा के लिए बने आयोग : शेखावत
कोटा. चंबल पर बने बांधों सहित देश के पुराने बांधों की सुरक्षा को लेकर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह ने रविवार को यहां गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, देश में ऐसा आयोग बनना चाहिए जो बांधों की सुरक्षा की चिंता करे।
कोटा में बाढ़ के समय चंबल के बांधों की स्थिति पर शेखावत ने कहा कि पिछली बारिश में बहुत चिंताजक हालात सामने आए। गांधीसागर के सभी गेट खोले गए और पानी तेजी से बढ़ा तब मैं वायु मार्ग से दिल्ली आने वाला था। इस दौरान सूचना मिली कि गांधीसागर टूट सकता है। तब दिल्ली पहुंचने तक 2 घंटे का समय बहुत चिंता में निकला। दिल्ली पहुंचते ही मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार से इस बारे में बात की। शेखावत ने माना कि बांधों की सुरक्षा पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, देश में छोटे-बड़े 5800 से ज्यादा बांध हैं। सत्तर के दशकके अंत में गुजरात के मोरवी में हुए बांध हादसे के बाद देश में इस तरह का प्रोटोकॉल बनना जरूरी है, जिससे बांधों की सुरक्षा हो। बीस प्रतिशत से ज्यादा बांध 70 साल से ज्यादा और 50 प्रतिशत बांध 50 साल से ज्यादा पुराने हैं।
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राज्यसभा में भी पास होना चाहिए
शेखावत ने कहा कि मोरवी बांध हादसे के बाद गठित जांच आयोग ने सिफारिश की थी कि बांध सुरक्षा कानून बने लेकिन नहीं बन पाया। पहली बार लोकसभा में बांध सुरक्षा कानून पर मुहर लगी है। राज्यसभा में भी इसे पास किया जाना चाहिए। बांध टूटने पर क्षेत्र का पूरा ईको सिस्टम बदल जाता है। उन्होंने कहा, संविधान में प्राथमिक रूप से पानी का विषय राज्य का है। मरम्मत का अधिकार राज्य सरकार का है। केंद्र सरकार सहयोग कर सकती है। केंद्र सरकार ने बांधों की मरम्मत के लिए 3 साल तक योजना चलाई थी। तब राज्यों से जीर्णोद्धार योग्य बांधों की सूची मांगी थी। विदेशी संस्थाओं के साथ वित्तीय प्रबंध कर और तकनीकी सहयोग से यह कार्य करना था लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान ने इसमें हिस्सेदारी नहीं ली। अब पुन: पत्र लिखा है और इस बार राज्य सरकार ने रुचि भी दिखाई है।