
अभयदास महाराज (पत्रिका फाइल फोटो)
Jalore Temple Controversy: राजस्थान के जालोर जिले में कथावाचक संत अभयदास जी महाराज से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बायोसा माता मंदिर के पास मजार हटाने की कोशिश से उपजे सामाजिक तनाव ने प्रदेशभर में हलचल मता रखी है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने सख्त रुख अपनाया है और मामले की तह तक जाने के लिए एक विशेष जांच समिति का गठन किया है।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के निर्देशन में गठित इस समिति में तीन संतों को शामिल किया गया है, जो तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
विवाद की शुरुआत जालोर में 11 जुलाई को शुरू हुई समरसता चातुर्मास महोत्सव के दौरान हुई, जिसमें तखतगढ़ धाम भारत माता मंदिर के संत अभयदास महाराज शामिल थे। 18 जुलाई को भागवत कथा के समापन के बाद उन्होंने बायोसा माता मंदिर में दर्शन की इच्छा जताई। मंदिर के पास कुछ मजारों के होने की वजह से उन्हें हटाने का प्रयास किया गया, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई।
अभयदास महाराज ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने शुरू में उनका साथ दिया, लेकिन बाद में स्थिति बदल गई। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इस घटना में भूमिका निभाई।
इस मामले को शांत करने और तथ्यों की जांच के लिए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने रविवार को एक जांच समिति गठित करने का आदेश जारी किया। समिति में सीकर के पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, तिजारा विधायक महंत बाबा बालक नाथ और जैसलमेर विधायक महंत प्रताप पुरी को शामिल किया गया है।
समिति को जालोर किले की ओर जाने वाले रास्ते पर बायोसा माता मंदिर के पास बनी मजारों से संबंधित विवाद की जांच करने और तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
इससे पहले अभयदास महाराज ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए जालोर के एसपी, डीएम और डिप्टी के निलंबन की मांग की थी। साथ ही, उन्होंने मंदिर के आसपास अतिक्रमण हटाने की भी मांग उठाई थी। उनके समर्थकों ने दो दिन तक प्रदर्शन किया था
Published on:
28 Jul 2025 02:16 pm
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