ग्राहकों पर दोहरी मार
इन दिनों उपभोक्ताओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो एसी और फ्रिज जैसे उत्पाद जल्दी खराब हो रहे हैं और दूसरी ओर इन्हें ठीक करने वाले मैकेनिक उपलब्ध नहीं हैं। जयपुर में करीब 600 इलैक्ट्रॉनिक्स के मैकेनिक हैं। इनमें से 150 से ज्यादा कंपनियों के सर्विस सेंटर्स पर काम करते हैं। बाकी निजी सर्विस सेंटर के साथ हैं। पिछले तीन महीनों में बाजार में इलेक्ट्रॉनिक्स की सर्विस डिमांड में 30 प्रतिशत इजाफा हुआ है।
इन दिनों उपभोक्ताओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो एसी और फ्रिज जैसे उत्पाद जल्दी खराब हो रहे हैं और दूसरी ओर इन्हें ठीक करने वाले मैकेनिक उपलब्ध नहीं हैं। जयपुर में करीब 600 इलैक्ट्रॉनिक्स के मैकेनिक हैं। इनमें से 150 से ज्यादा कंपनियों के सर्विस सेंटर्स पर काम करते हैं। बाकी निजी सर्विस सेंटर के साथ हैं। पिछले तीन महीनों में बाजार में इलेक्ट्रॉनिक्स की सर्विस डिमांड में 30 प्रतिशत इजाफा हुआ है।
मैकेनिक्स पर बढ़ा काम का बोझ
काम का बोझ बढऩे और मैकेनिक्स की कमी के कारण एसी का इंस्टोलेशन पहले एक या दो दिन में हो जाता था, लेकिन अब 3 से 4 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। फ्रिज और एसी की सर्विस के लिए अब 1 से 2 हफ्ते तक इंतजार करना पड़ रहा है।
काम का बोझ बढऩे और मैकेनिक्स की कमी के कारण एसी का इंस्टोलेशन पहले एक या दो दिन में हो जाता था, लेकिन अब 3 से 4 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। फ्रिज और एसी की सर्विस के लिए अब 1 से 2 हफ्ते तक इंतजार करना पड़ रहा है।
उत्पादों की नई तकनीक के आगे पुराने मैकेनिक फेल
वहीं बाजार के जानकारों का कहना है कि एसी-फ्रिज के नए मॉडल्स में कोडिंग, सेंसर्स का ज्यादा उपयोग होने लगा है, जिससे इनके फिचर्स में इजाफा हुआ है, लेकिन पुराने मैकेनिक्स के लिए यह मुसिबत बढ़ गई है, उन्हें इसकी ट्रेनिंग नहीं दी गई है, इसलिए नए उत्पादों में आई खराबी का बोझ शहर के केवल 150 मैकेनिक्स पर आ गया है, जो कि कंपनियों के साथ जुड़ें है।
वहीं बाजार के जानकारों का कहना है कि एसी-फ्रिज के नए मॉडल्स में कोडिंग, सेंसर्स का ज्यादा उपयोग होने लगा है, जिससे इनके फिचर्स में इजाफा हुआ है, लेकिन पुराने मैकेनिक्स के लिए यह मुसिबत बढ़ गई है, उन्हें इसकी ट्रेनिंग नहीं दी गई है, इसलिए नए उत्पादों में आई खराबी का बोझ शहर के केवल 150 मैकेनिक्स पर आ गया है, जो कि कंपनियों के साथ जुड़ें है।
प्रोडक्ट क्वालिटी पर असर
राजस्थान इलैक्ट्रॉनिक्स डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस के कालानी का कहना है कि मांग ज्यादा होने पर भी प्रतिष्ठित कंपनियां अपने उत्पादों की क्वालिटी से कम्प्रोमाइज नहीं करती, लेकिन कुछ कंपनियां मांग बढऩे पर दूसरे मैन्यूफैक्चर्स से माल बनवाने लगती हैं, तो प्रोडक्ट क्वालिटी पर असर आ सकता है। जब प्रोडस्ट्स की सेल ज्यादा है तो जाहिर है कि इंस्टोलेशन और सर्विस के लिए भी मैनपावर की ज्यादा जरूरत है। वहीं ट्रेंड मैकेनिक एकदम से तैयार करना मुश्किल होता है।
राजस्थान इलैक्ट्रॉनिक्स डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस के कालानी का कहना है कि मांग ज्यादा होने पर भी प्रतिष्ठित कंपनियां अपने उत्पादों की क्वालिटी से कम्प्रोमाइज नहीं करती, लेकिन कुछ कंपनियां मांग बढऩे पर दूसरे मैन्यूफैक्चर्स से माल बनवाने लगती हैं, तो प्रोडक्ट क्वालिटी पर असर आ सकता है। जब प्रोडस्ट्स की सेल ज्यादा है तो जाहिर है कि इंस्टोलेशन और सर्विस के लिए भी मैनपावर की ज्यादा जरूरत है। वहीं ट्रेंड मैकेनिक एकदम से तैयार करना मुश्किल होता है।
44 डिग्री से ऊपर पारा, उत्पादा पर बढ़ा प्रेशर
फोर्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कमल कंदोई का कहना है कि सभी कूलिंग उत्पादों में तापमान को झेलने की निर्धारित क्षमता होती है। पहले 40 डिग्री से ऊपर तापमान हफ्ते दो हफ्ते ही रहता था, लेकिन इसबार अप्रैल से ही तापमान 44-45 डिग्री से ऊपर बना हुआ है, इसलिए कूलिंग उत्पादों को हाई लेवल पर उपयोग किया जा रहा है, जिसका असर कूलिंग प्रोडस्ट्स के कंप्रेशर पड़ता है, इसलिए हो सकता है कि सर्विस की जरूरत भी ज्यादा पड़ रही है, लेकिन अच्छी कंपनियों के उत्पादों में शिकायत बढऩे की जानकारी नहीं है।
फोर्टी के कार्यकारी अध्यक्ष कमल कंदोई का कहना है कि सभी कूलिंग उत्पादों में तापमान को झेलने की निर्धारित क्षमता होती है। पहले 40 डिग्री से ऊपर तापमान हफ्ते दो हफ्ते ही रहता था, लेकिन इसबार अप्रैल से ही तापमान 44-45 डिग्री से ऊपर बना हुआ है, इसलिए कूलिंग उत्पादों को हाई लेवल पर उपयोग किया जा रहा है, जिसका असर कूलिंग प्रोडस्ट्स के कंप्रेशर पड़ता है, इसलिए हो सकता है कि सर्विस की जरूरत भी ज्यादा पड़ रही है, लेकिन अच्छी कंपनियों के उत्पादों में शिकायत बढऩे की जानकारी नहीं है।