
ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर। नगर निगम हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित माने गए हैं। दो लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में पति को गिरफ्तार करने के बाद एसीबी ने अपनी जांच में पत्नी मुनेश गुर्जर के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाए हैं। इसके साथ ही एसीबी ने सरकार से मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन की इजाजत मांगी है। स्थानीय निकाय आयुक्त से इजाजत मिलने के बाद पति-पत्नी दोनों के खिलाफ एक साथ चालान पेश होगा।
एसीबी ने अगस्त 2023 में हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के घर छापा माकर उसके पति सुशील गुर्जर को दो लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोप था कि पट्टे जारी करवाने की एवज में दो दलालों के जरिए रिश्वत मांगी गई थी। एसीबी ने दलाल नारायण सिंह व अनिल दुबे को भी गिरफ्तार किया था। सुशील गुर्जर के घर से तलाशी में एसीबी के परिवादी के पट्टे की फाइल के अलावा 41 लाख रुपए मिले थे। जबकि दलाल नारायण सिंह के घर से भी 8.95 लाख रुपए मिले थे।
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पड़ताल के बाद एसीबी ने तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया था, जहां उनकी जमानत भी हो गई। इसके बाद हुई एसीबी जांच में महापौर मुनेश गुर्जर की भूमिका भी सामने आई है। एसीबी ने नवम्बर २०२३ में मुनेश के बयान लिए थे। जांच अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र नैन की रिपोर्ट के आधार पर एसीबी मुख्यालय ने पति के साथ पत्नी महापौर मुनेश गुर्जर के खिलाफ चालान पेश करने का निर्णय लिया। चालान पेश करने के लिए एसीबी ने सरकार (स्थानीय निकाय आयुक्त) से इजाजत मांगी है। स्थानीय निकाय आयुक्त ने अभियोजन की फाइल मिलने के बाद एसीबी अधिकारियों को चर्चा के लिए बुलाया है।
एसीबी की इस कार्रवाई के बाद तत्कालीन सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलम्बित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट के आदेश पर ही मुनेश गुर्जर को महापौर की कुर्सी वापस मिली थी। अब सरकार चालान पेश करने की इजाजत देती है तो यह कुर्सी फिर खतरे में पड़ सकती है।
Published on:
16 Jun 2024 02:22 pm
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