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आचार्य सौरभ सागर का गुलाबीनगरी में पहली बार मंगल प्रवेश, उमड़ा श्रद्धाभक्ति का सैलाब

धर्म की पहचान संतो से नहीं श्रावकों से है- आचार्य सौरभ सागर

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जयपुर. धर्मनगरी छोटी काशी के नाम से विश्व राजधानी जयपुर एक बार फिर अपनी श्रद्धाभक्ति के जनसैलाब को लेकर सड़क पर उतरी। मौका था रविवार को दिगम्बर जैन आचार्य सौरभ सागर के 29 वर्ष की कठोर तपस्या के मार्ग पर चलते हुए पहली बार जयपुर नगरी में प्रवेश का। आचार्य सुबह सूरजपोल गेट स्थित मोहनबाड़ी दिगम्बर जैन मंदिर से विहार यात्रा प्रारम्भ करते हुए हवामहल पहुंचें। विभिन्न कॉलोनियों सहित पुष्प वर्षायोग समिति के पदाधिकारियों संजय बापना, गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद सहित अन्य ने पुष्पवर्षा कर आचार्य की अगवानी की। यहां से भव्य शोभायात्रा के रूप में चलते हुए ढोल नगाड़ों और जयकारों के साथ भट्टारक जी की नसियां पहुंची। जयपुर जैन महिला मंडल द्वारा 29 कलशों को सर पर रखकर अगवानी की इसके उपरांत 29 थालों पर पाद प्रक्षालन करवा आचार्य श्री को जिनालय में प्रवेश करवाया। जैन ध्वजा हाथ में थामे, गुलाबी रंग साफा लगाकर महिलाएं केसरिया साड़ी में दिखी। वहीं पुरुष सफेद परिधान व लाल रंग का साफा लगाकर शामिल हुए।

दो जुलाई को कलश स्थापना
इस बार आचार्य का चातुर्मास प्रताप नगर सेक्टर आठ जैन मंदिर में होगा। 29 जून को आचार्य का मंगल प्रवेश होगा। दो जुलाई को कलश स्थापना, तीन जुलाई को गुरुपूर्णिमा महोत्सव और चार जुलाई को वीरशासन जयंती के कार्यक्रम सम्पन्न होगा।

देशभर से पहुंचें भक्त
आचार्य सौरभ सागर ने धर्मसभा में कहा कि किसी भी धर्म की पहचान संतो से नही श्रावकों से होती है। श्रावक होंगे तभी धर्म पूजा जाएगा। आज जयपुर में मंगल प्रवेश हुआ है 29 को प्रताप नगर में गृह प्रवेश होगा जहां पर चातुर्मास होगा। कार्यक्रम में जयपुर के समस्त काॅलोनियों से भक्त समेत दिल्ली, यूपी, एमपी, हरियाणा से भी भक्त पहुंचें। आचार्य के घरस्थ अवस्था के पिता श्रीपाल जैन भी मौजूद रहे।


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